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उत्तर : बंध के दो प्रकार हैं - (१) द्रव्य बंध, (२) भाव बंध । ४८) द्रव्य बंध किसे कहते है ? उत्तर : आत्मा के साथ कर्म पुद्गलों का परस्पर एकमेक, सम्बद्ध होना, द्रव्य
बंध है। ४९) भाव बंध किसे कहते है ? उत्तर : कर्म को बांधने में जीव का जो राग-द्वेष युक्त आत्म-परिणाम है, वह
__ भाव बंध है। ५०) मोक्ष किसे कहते है ? उत्तर : ज्ञानावरणीयादि अष्ट कर्मों का आत्मा से सर्वथा नष्ट हो जाना, मोक्ष
कहलाता है। ५१) मोक्ष के मुख्य दो प्रकार कौन-कौन से हैं ? उत्तर : मोक्ष के दो प्रकार हैं - (१) द्रव्य मोक्ष, (२) भाव मोक्ष । ५२) द्रव्य मोक्ष किसे कहते है ? उत्तर : कर्मों का आत्मा से सर्वथा विलग होना, द्रव्य मोक्ष है। ५३) भाव मोक्ष किसे कहते है ? उत्तर : कर्मों को संपूर्ण क्षय करने में कारण रूप आत्मा के जो परम विशुद्ध
अध्यवसाय है, उसे भाव मोक्ष कहते है। ५४) नवतत्त्वों का वर्णन कौनसे आगम में हैं ? उत्तर : स्थानांग सूत्र के ९वें स्थान में नवतत्त्वों का वर्णन है। ५५) नवतत्त्वों में कौन-कौन से तत्त्व हेय-ज्ञेय तथा उपादेय है ? उत्तर : १. हेय - पाप, आश्रव, बन्ध, पुण्य ।
२. ज्ञेय - जीव, अजीव ।
३. उपादेय - पुण्य, संवर, निर्जरा तथा मोक्ष । ५६) हेय-ज्ञेय तथा उपादेय से क्या तात्पर्य है ? उत्तर : हेय - त्याग करने योग्य या छोडने योग्य ।
ज्ञेय - जानने योग्य । उपादेय - ग्रहण करने योग्य या स्वीकार करने योग्य ।
---------- - श्री नवतत्त्व प्रकरण
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