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विवेक
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कर गये । इन सब घटनाओं के पीछे कोई अदृश्य शक्ति अथवा रहस्य है, तो वही भेद - ज्ञान और विवेक है ।
यदि भेदज्ञान का अभ्यास, चिंतन, मनन और प्रयोग जीवन में निरंतर चालु रहेगा, तभी मृत्यु के समय वह (भेदज्ञान) हमारी रक्षा करेगा ! भेदज्ञान केवल बातों में न हो, व्यवहार में भी होना आवश्यक है । सतत चिंतन और मनन द्वारा उसे आत्मसात् करना चाहिये । फलस्वरुप, जीवन के विविध प्रसंगों में शारीरिकआर्थिक–पारिवारिक संकट काल में वह हमारी सुरक्षा करेगा । हमारी धृति और संयम को तीक्ष्ण शस्त्र का रुप प्रदान कर अनन्तानंत कर्मों का क्षय करेगा ।
जीव मात्र को ऐसे भेद - ज्ञान का शाश्वत विवेक प्राप्त हो... ।