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________________ २०९ मूलशुद्धिप्रकरणम्-द्वितीयो भागः तीसे सत्तमगब्भो तुह पइ-पिइमारगो न संदेहो । होही" इय भणिऊणं नीसरिओ तीए गेहाओ ॥११॥ सा वि तयं नियपइणो साहइ एसो वि चिंतए एवं । 'मह भाउगस्स वयणं पलए वि न अन्नहा होइ' ॥१२॥ तो मत्तयचेड्डेणं गेहे गंतूण भणइ वसुदेवं । दिज्जंतु मज्झ सामिय ! सत्त वि अह देवईगब्भा ॥१३॥ तब्भावमयाणेउं पडिवन्ना तस्स पत्थणा तेण । तो हट्टतुट्ठचित्तो चिट्ठइ जा गब्भसमओ से ॥१४॥ समयम्मि य रक्खावइ पयत्तओ देवई सपुरिसेहिं । गिण्हित्तु तीए पुत्ते सिलाए अच्छोडए कंसो ॥१५॥ एत्तो य मलयविसए भहिलनयरम्मि नागवरइब्भो । निवसइ तस्स य सुलसा भज्जा अह जायनिंदु त्ति ॥१६॥ नेमित्तिएणसिट्ठा आराहइ सा तओ पयत्तेण । हरिणेगमेसिदेवं तुट्ठो सो जंपई एवं ॥१७॥ 'भद्दे ! एरिसकम्मं तुमए विहियं अहऽन्नजम्मम्मि । पसविहिसि तुमं पुत्ते मइल्लए नत्थि संदेहो ॥१८॥ किंतु तुह भत्तितुट्ठो परिवत्तिय देमि अन्ननारिसुए । सा भणइ होउ एवं ते वि महं अत्तया चेव ॥१९॥ ता सो सुरसेणवई समकालं कुणइ गब्भसंबंधे । पसवदिणम्मि य तत्तो वंचित्ता कंसपाहरिए ॥२०॥ देवइसुयं जियंतं अप्पइ सुलसाइ तीइ मयगं तु । मुंचइ देवइ पासे कंसो वितयं विणासेइ ॥२१॥ एवं छण्ह सुयाणं सुरेण परिवत्तणं कयं जाव । ता सत्तमम्मि गब्भे वसुदेवं देवई भणइ ॥२२॥ 'रक्खेहि इमं एगं मज्झ सुयं सामि ! पावकंसाओ । किमहं इमस्स दासी जेणेवं हणइ मह पुत्ते' ॥२३॥ १. सं.वा.सु. `णा चेव ॥ २. ला. पुत्तं ॥ ३. ला. मयल्लए । मूल. २-२७
SR No.022287
Book TitleMulshuddhi Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhurandharsuri, Amrutlal Bhojak
PublisherShrutnidhi
Publication Year2002
Total Pages348
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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