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________________ १४० सविवरण मूलशुद्धि प्रकरण द्वितीय स्थानके कुवियस्स आउरस्स य वसणं पत्तस्स रागरत्तस्स । मत्तस्स मरंतस्स य सब्भावा पायडा हुति' ।।५६।। त्ति परिभाविऊण णिमंतिओ कोडुबियलोगो । पाइओ सव्वो वि मज्जं, न य अप्पणा पियइ। तओ जाव सव्वे मत्ता ताव मयपराहीणो व्व तेसिं भावपरिक्खणत्थं जंपिउमाढत्तो, अवि य दो मज्झ धाउरत्ताओ कंचणकुंडिया तिदंडं च । राया मे वसवत्ती, एत्थ वि ता मे होल वाएहि ।।१६० ।। अण्णो असहमाणो भणइ गयपोययस्स मत्तस्स उप्पइयस्स जोयणसहस्सं । पए पए सयसहस्सं, इत्थ वि ता मे होल वाएहि ।।१६१।। अन्नो भणइ तिलआढयस्स उत्तस्स निप्फण्णस्स बहुसइयस्स । तिले तिले सयसहस्सं, इत्थ वि ता मे होल वाएहि ।।१६२।। अन्नो भणइ नवपाउसम्मि पुण्णाएँ गिरिनइयाएँ सिग्यवेगाए । एगाहमहियमित्तेणणवणीएणपालिंबंधामि, इत्थ वितामे होल वाएहि॥१६३॥ अण्णो भणइ जच्चाण णवकिसोराण, तदिवसेण जायमित्ताण । केसेहिं नहं छाएमि, इत्थ वि ता मे होल वाएहि ।।१६४।। अण्णो भणइ दो मज्झ अत्थि रयणाणि, सालपसूई य गद्दभिया य । छिन्ना छिन्ना वि रुहंति, इत्थ वि ता मे होल वाएहि ।।१६५।। अन्नो भणइ सयसुकिलो णिच्चसुयंधो, भज अणुव्वय णत्थि पवासो । - निरिणो य दुपंचसओ, इत्थ वि ता मे होल वाएहि ।।१६६ ।। १-७. सं० वा० सु० वाएह ॥
SR No.022286
Book TitleMulshuddhi Prakaranam Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmdhurandharsuri, Amrutlal Bhojak
PublisherShrutnidhi
Publication Year2002
Total Pages326
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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