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रज्जे य सेसदेसाण, रायभओ सचेव देसो वि। उव्वहइ आरियत्तं, सुसाहुणो जत्थ विहरंति देसे पुण नयर सेस-नयरसिरसेहरं पवित्तं च । तं चिय चरंति निच्चं, जत्थ गुणड्ढा महामुणिणो नगरे य पाडगो पाव-साडगो जइजणो जहि वसइ । सो चिय धण्णो पुण्णो, सुण्णो अण्णोऽत्ति मण्णेऽहं तत्थ पुण जत्थ गीयत्थ-सुत्थियजईण जायए वसही। भवणं तं चिय एक्कं, लक्खणपुण्णं खु मण्णेऽहं लच्छीए तमाऽऽवासो, तं अरिहं पवररयणवुट्ठीए । वत्थु पुरिसो वि भुवि, तस्स चेव परमत्थओ उदई कहमऽण्णहा मुणीणं, संजम-सिरिपरमरमणभूमीणं । तत्थाऽवत्थाणं पि हु, होज्जा जिणवयणनिरयाणं न हु होति तत्थ दोसा, सिद्धंतुग्घोसणाझुणिगुणेण । खुद्दोवद्दवपमुहा, अब्भुदयाऽऽई य होंति गुणा जं रोगऽग्गिपिसाय-ग्गहपभिइयखुद्ददेवजा दोसा। कूरनरतिरियजा विय, पावा पावाउ पभवंति पावस्स य पडिवक्खो, दक्खो नेओ जिणिंदसद्धम्मो । जत्थ पुण तप्पयारो, पाववियारा कुओ तत्थ नहि बलियम्मि सपक्खे, दीसइ पडिवक्खसंभवो पायं । पभवंते सइ मायंड-मंडले तिमिरनियरो व्व इय मोक्खसाहणाऽवंझ-हेउणो नाणदंसणसमग्गा । विविहतवनियमसंजम-सज्झायऽज्झयणझाणाई सद्धम्मगुणा गुणिसेवगस्स रण्णोऽहवा अमच्चस्स । सेट्ठिस्स सत्थवाहस्स, इब्भपमुहस्स वसहीए अण्णस्स व जस्स परं, अणुग्गहं समणुमण्णमाणस्स। चिटुंताणं साहूण, निव्वहंति निराबाहं धम्माऽणुभावओ चेव, तस्स दोसा न होति पावकया। हुंति य सद्धम्मकया, परमब्भुदया, विविहरूवा अच्चंतऽणुरत्तकलत्त-पुत्तसुविणीयपरियणप्पमुहा । चउरंगबलाईया, नियनियपयवीए अणुसरिसा दाउं वसहिमिहभवे, जरंततणकयकुडीरकोणे वि। भवसोक्खनिराकंखीण, मोक्खसोक्खेक्कलक्खाणं साहूण सुविहियाणं, महाणुभावाण परमभत्तीए । चइउं मलाविलं देह-पंजरं अण्णजम्मम्मि मणिमयमहंतभासंत-भित्तिविच्छित्तिचित्तारइजणए । सुविसालसालभंजिय-मत्तालंबाइसयकलिए नाणामणिघडणुब्भड-थंभसहस्सूसियम्मि रयणयले । अणवरयरयणमणिकंत-किरणभरनिब्भरुज्जोए गयणंऽगणसंलग्गऽग्ग-तुंगतोरणमणाभिरामिल्ले। धुव्वंतधवलधयवड-मालाकलिए परमरम्मे आएसाऽणंतरतुर-माणअणुरत्तकिंकरसुरड्ढे। ललमाणजणियनयण-च्छणऽच्छराजणसमाइण्णे वररयणकणगमणिमय-सयणाऽऽसणछत्तचमरभिंगारे। तह पंचवण्णमणिरयण-कुसुमदेवंऽसुयसमिद्धे चिंताऽणंतरसमकाल-संमिलंताऽणुकूलसयलऽत्थे। सव्वुत्तमे विमाणे, जायति देवो महिड्ढिओ तत्तो य चुओ संतो, उदग्गसोहग्गरूवधारी य। जणमणनयणाऽऽणंदी, निरुवक्कमदीहनिरुयाऽऽऊ लायण्णपुण्णगत्तो, वंदियणुग्घुस्समाणगुणनिवहो । मणिकणगरयणसयणा-सणड्डपासायतलललणो संपज्जमाणमाणस-समीहियऽत्थो महाविभूइल्लो। सव्वाऽइसयनिहाणं, दिसि दिसि पसरंतजसपसरो पुण्णाऽणुबंधिपुण्णो, अखंडछक्खंडभरहभोत्ता य । होज्जेह चक्कवट्टी, राया वाऽखंडमंडलिओ तदमच्चो वा सेट्ठी, सत्थाहो वा महिब्भपुत्तो वा। संपाविऊण परमे, चारित्तगुणे ततो धण्णो तेणेव भवेणं सो, तिहिं सत्तहिं वा भवेहि नियमेणं । काऊणं कम्मखयं, खिप्पं मोक्खं पि पाउणइ इय भावसारवसही-दाणेण नरिंदपुण्णमऽकलंकं । वंछियपूरणपवणं, जंजायइ तं किमऽच्छरियं अच्छरियं पुण तं जं, उवरोहेणाऽवि वसहिदाणाओ। अणवरयसाहुदसण-ईसिं पडिबन्धभावेण अहमगइमुवगओ वि हु, पमायमयमोहिओ वि मुद्धो वि। पडिबुद्धो कुरुचंदो, जाइं सरिऊण सयमेव तहाहिकुलभवणं व सिरीए, अच्छरियाणं पि जम्मभूमि व्व। विज्जाणमागरो इव, सावत्थी, नाम आसि पुरी तत्थ य नमंतपत्थिव-सिररयणपहापहासिपयजुयलो। नामेणाऽऽइवराहो भुवणपसिद्धो महीनाहो तस्स य अप्पडिमगुणो, रूवेणं वम्महो व्व पच्चक्खो। समरंगणरणपरिहत्थ-याए जिण्हु व्व विण्ह व्व
।। २२७९॥ ॥ २२८०॥ ॥ २२८१ ॥ ॥ २२८२ ॥ ॥ २२८३ ॥ ॥ २२८४॥ ॥ २२८५॥ ॥ २२८६॥ ॥ २२८७॥ ॥ २२८८॥ ॥ २२८९ ॥ ॥ २२९० ॥ ॥ २२९१ ॥ ॥ २२९२॥ ॥ २२९३॥ ॥ २२९४ ॥ ॥ २२९५ ॥ ॥ २२९६॥ ॥ २२९७॥ ॥ २२९८॥ ॥२२९९ ॥ ॥ २३००॥ ॥ २३०१॥ ॥ २३०२॥ ॥ २३०३॥ ॥ २३०४॥ ॥ २३०५॥ ॥ २३०६॥ ॥ २३०७॥ ।। २३०८॥ ॥ २३०९॥ ॥ २३१०॥
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