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तम्हा अण्णकए च्चिय, पारद्धं निद्रियं च अण्णकए। मणवइकाएहि सयं, अकयमऽकारियमऽह परेहि
॥ २२४४॥ अणणुमयं च अओ च्चिय, मूलुत्तरगुणजुयं पमाणिल्लं । थीपसुपंडगदुस्सील-वज्जमुज्झियतदाऽऽसण्णं ॥ २२४५॥ सज्झायकालउच्चार-पासवणभूमिसंजुयं गुत्तं । जइजोग्गं निरवज्जं, सेज्जं देज्जा जईण गिही
॥ २२४६॥ दव्वं खेत्तं कालं, भावं च पडुच्च जइ तहारूवा । नो संपज्जइ तहवि हु, चिन्तिय सारेतरविभागं
॥ २२४७॥ सुहमप्पदोसजुत्तं, गुरुबहुगुणसंगयं सया वसहिं । देज्ज जईणं न जं ते, तीए विणा संजमायाऽलं
॥ २२४८॥ दुत्तरमऽवि भवजलहि, सेज्जाए तरइ जेण तद्दाया। सेज्जायरो त्ति वुत्तो, एत्तो च्चिय समयकेऊहिं
॥ २२४९॥ तत्थ ट्ठिया य जइणो, अण्णेहितो वि वत्थपत्ताऽऽई। जं पावंति तयं पि हु, दिण्णं परमत्थओ तेण
॥ २२५०॥ जइ वि न कहिं पि हु सयं, संपण्णं पुव्ववण्णियं ताणं । तह वि हु वसहीदाया, जातो तम्मूलहेउ त्ति
॥ २२५१॥ जं मूलकारणं सो, अह उत्तरकारणाई इयरे उ । सइ मूलंगे पायं, विसयो किर उत्तरंऽगाणं
॥ २२५२॥ बलिए मूलजुयम्मि, जहा तरू लहइ परमवित्थारं । तह वसहिमूलबलिओ, पावइ पसरं जइजणो वि
॥ २२५३॥ किंचवायरयवासधारा-सीयाऽऽयवमारुओवसग्गाणं । चोराण दुट्ठसावय-गणाण तह दंसमसगाण
॥ २२५४॥ रक्खमाणो मुणिपुंगवे उ, सगिहम्मि वसहिदाणाओ। ताण मणवयणकाये, कुणइ पसण्णे सयाकालं ॥ २२५५॥ जोगप्पसण्णयाए य, चेव जायइ सुई मई सण्णा। तह निव्वुईसुहं तणु-बलं च सुहझाणवुड्ढीकए
॥ २२५६॥ जम्हा सुमणुण्णाऽऽलय-सयणाऽऽसणभोयणेसु पाएणं । सुमणुण्णझाणझाई, जायति साहू भवविरागी ॥ २२५७॥ जस्साऽऽसमम्मि मुणिणो, मुहत्तमेत्तं पि विस्समन्ति सो। कयकिच्चो तेणं चिय, किमऽण्णपुण्णेण किर तस्स ॥ २२५८ ॥ धण्णो तेसि जम्मो, कुलं च धण्णं सयं पि ते धण्णा । पक्खालियपावमला, ससाहुणो जाण ठंति गिहे ॥ २२५९॥ जइ पुण दुगंछिएसु, कुलेसु एयाण जणणमिह हुँतं । ता कह जएक्कपुज्जा, ठायंता तग्गिहे मुणिणो ॥ २२६०॥ पुण्णकलियाण गेहेसु, ठन्ति मुणिणो पणट्ठमयमोहा । न कयाइ रयणवुट्ठी, निवडइ पावाण गेहेसु
॥ २२६१ ॥ सो नाम को वि कालो, कलिकलुसविवज्जिओ जियाण भवे । गुणरयणमहानिहिणो, जम्मि गिहे ठंति वरमुणिणो ॥ २२६२ ॥ सेवा वि दुल्लह च्चिय, महाणुभावाण पावनिद्दलणी । छाया वि कप्पतरुणो, पुण्णेहिं विणा न संपडइ ॥ २२६३॥ अक्खण्डसंजमधुरं-धराण धीराण धम्मबुद्धीए । मुणिवसभाणं वसहि, दितेण इमं इमं च कयं
॥ २२६४॥ चारित्तपक्खवाओ, गुणाणुरागित्तणं सुधम्मित्तं । सुद्धाण पक्खवाइ-त्तणं च कित्तीसमुच्छालो
॥ २२६५॥ संमग्गवुढिकरणं, कुसंगचाइत्तणं सुसंगरई । सगिहंऽगणम्मि कप्प-दुमस्स आरोवणविहाणं
॥ २२६६॥ कामदुहधेणुगहणं, चिन्तामणिणो य करयले धरणं । निययभवणंऽगणे च्चिय, पहाणरयणायराऽऽणयणं ॥ २२६७॥ धम्मपवाए दाणं, पियणं अमयस्स पवरनिहिगहणं । सव्वसुहसंचयारो, विजयपडायाए गहणं च
॥ २२६८॥ परमं च सव्वकामिय-विज्जामन्ताण साहणविहाणं । भवइ य विवेगसंगय-गुणण्णुयापयडणं च कय
॥ २२६९॥ तह तस्सुवस्सए संठियाण, साहण गणसमिद्धाणं । पायसमीवमुवागम्म, धम्मसवणं कुणंति जणा
॥ २२७०॥ जं जं च तदाऽऽयण्णण-पच्चागयचेयणा भवियसत्ता । धम्मकिरियासु निच्चं, रमन्ति विविहासु जं च तहा ॥ २२७१॥ पडणीया भद्दत्ते, भद्दा उ दयाए जं च जहसत्तिं । मंसाऽऽसवाइणियमे, अण्णे पुण जं च संमत्ते
॥ २२७२॥ संपावियसम्मत्ता य, जं परे परमभत्तिसंजुत्ता । मणहरजिणिंदमंदिर-बिंबपइट्टाच्चणाईसु॥
२२७३ ॥ जिणहरजत्ताईसु य, महूसवेसु सया पयर्टेति । जं जं च जिणप्पवयण-पभावणापमुहकिच्चे य
॥ २२७४ ॥ जं उज्जमंति केई, गिलाणसाहम्मियाऽइकज्जेसु । जंच जिणाऽऽगमपोत्थय-लिहावणं केई कारिति ॥२२७५ ॥ जं केइ देसविरति, गिण्हंति जं च सव्वविरइं च । जं च विचित्तेसु तवो-कम्मेसु य के वि हु रमंति
॥ २२७६ ॥ सव्वाण ताण तेहिं, विहिज्जमाणाण पुण्णहेऊणं । साहूवस्सयदाया, निद्दिट्ठो मूलहेउ त्ति ।
॥ २२७७॥ सो च्चिय राया सो चेव, रायमत्थयमणी स थिररज्जो । रज्जे जस्स जइजणो, विहरति अप्पडिहयप्पसरं ॥ २२७८॥
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