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जइ कहवि चिलाएहि, पम्मुक्को ता कयंततुल्लेण । डसिओम्हि भुयंगेणं, अहह ! विचित्तं विहिसरूवं अहवा जम्मो मरणेण, जोव्वणं सह जराए संजोगो । सममेव वियोगेणं, उप्पज्जइ किमिह सोगेण एवं परिभातो, जा वच्छच्छायमऽणुसरइ सिसिरं । ता तरुणो हेट्ठठियं, चारणसमणं महासत्तं सुत्तं परियत्तंतं, विचित्तनयभंगसंगदुव्विगमं । पेच्छइ पउमासणबन्ध-धीरमुवरुद्धमणपसरं विसमविसोरगविसविह-रियस्स भयवं! ममेत्थ पत्थावे। सरणं तमं ति जंपिय, विचेयणो तयण सोपडिओ अह तं विसवसनिण्णट्ठ-चेयणं पेच्छिऊण करुणाए। परिचितइ मुणिवसभो, किमियाणि जुज्जए काउं पावपओयणनिरयाण नो गिहत्थाण ताव उवयारे। वट्टिउमुचियं साहूण, सव्वभूयऽप्पभूयाण ताणुवयारे तविहिय-पावट्ठाणाण कारणं जम्हा । निरवज्जवित्तिणो वि हु, भवंति गिहिसंगदोसेणं जइ पुण ते उवयरिया, मोत्तूणं सव्वसंगमऽ चिरेणं । पडिवज्जिय पव्वज्जं, जयंति सद्धम्मकज्जेसु ता होज्ज तक्कया निज्जरा वि इय चिन्तिरस्स समणस्स । अनिमित्तमेव सहसा, विप्फुरियं दाहिणं नयणं तो तदुवयारमाऽऽभो-गिऊण दट्टण से भुयगदंसं । चरणोवरिम्मि सुहुमं, वियाररहियं च मुणिवसभो परिभावइ नूणमिमो, जीविस्सइ जेण दंसठाणमिमं । अविरुद्धं सिरपमुहाणि, चेव सत्थे विरुद्धाणि तहाहिसीसे लिंगे चिबुए, कंठे संखेसु तह गुदे य थणे । ओढे वच्छयलम्मि य, भुमयासुं नाभिनासउडे करचरणतले खंधे, कक्खासुं इक्खणे निडाले य । केसंतसंधिदेसेसुं, जाइ दट्टो जमगिहम्मि तहापंचमीअट्ठमीछट्ठी-नवमीचउद्दसीतिहीसु अहिदट्ठो। पक्खंते वि विणस्सइ, अज्जं च तिही वि न विरुद्धा नक्खत्तं पिहु दुटुं, मघा विसाहा य मलमऽसिलेसा। रोहिणिअद्दा कित्तिय, तं पिन वइ इह महत्ते टुिं पि पुव्वमुणिणो, भणंति मणुयस्स भुयगदगुस्स । कंपो लालामुयणं, जिभा नयणाऽरुणत्तं च मुच्छा सरीरभंगो, कवोलखामत्तणं पहाहाणी । हिक्का सरीरसीय-त्तणं च अचिरेण मरणाय न य एत्तो एगं पि हु, दीसइ टुिं इमस्स भव्वस्स । ता कीरइ पडियारो, दयापहाणो हि जिणधम्मो परिभाविऊण एवं, मुणिवसहो झाणनिमियथिरनयणो। अणुसुमरिउं पवत्तो, विसेससुत्तं समुवउत्तो अह जाव सरयससहर-निब्भरपसरंतपहपहासिल्लं। उल्लवइ अमयकुल्ला-ऽणुकारिणिं अक्खरस्सेणि ताव तिमिरं व दिवसयर-पहभरऽब्भाहयं महाऽहिविसं । नटुं सुत्तविउद्धो व्व, उट्ठिओ सो वि पडुदेहो तो जीवियव्वदाय त्ति, पवरसाहु त्ति जायपडिबन्धो । नमिऊण सबहुमाणं, तं समणं भणिउमाऽऽढत्तो भयवं! भमंतभीसण-सावयकुलसंकुलाए अडवीए। मण्णे पुण्णेणं मे, तुम्ह निवासी इहं जातो कहमऽण्णहा महाविस-विसहरविसहरियचेयणस्स ममं । होज्जेह जीवियव्वं, जइ न तुमं नाह! होतो सि कत्थ मरुमंडलो कत्थ, कप्पविडवी महाफलसमिद्धो । कत्थ अधणस्स गेहं, कत्थ व तत्थेव रयणनिही कत्थाऽहं सुदुहट्टो, अणप्पमाहप्पवं च कत्थ तुमं । अहह ! विहिविलसियाणं, को परमत्थं जए मुणइ एवंविहोवयारिस्स, तुज्झ भयवं महं अधण्णस्स । दिण्णेण केण केण व, कएण जाएज्ज रिणमोक्खो मुणिणा भणियं भद्दय !, जइ रिणमोक्खं समीहसे काउं। निरवज्ज पव्वज्ज, पडिवज्जसु ता तुममियाणि उवयारो वि मए तुह, एईए कएण नणु कओ इहरा । अस्संजयचिन्ताए, अहिगारो नत्थि सुमुणीण न य भद्द ! धम्मवियलं, सलहिज्जइ जीवियं मणुस्साणं । ता चयसु गिहाऽऽसंगं, णिस्संगो हवसु सुस्समणो भालयलाऽऽरोवियपाणि-कमलमउलेण तेण तो भणियं । भयवं! करेमि एयं, नवरं लहुभाइपडिबंधो विहुरेइ मम मणं जइ य, होज्ज सह तेण दंसणं कहवि। ता निस्सल्लो पव्वज्ज-मेक्कचित्तो करेज्जमऽहं मुणिणा पयंपियं भद्द!, जइ तुमं विसवसा मओ होतो। ता कह लहुगं भाउग-मऽवलोइंतो सि एवं च परिचय पडिबंधमिमं, निरत्थयं सरसु धम्ममऽणवज्जं। भाइ-पिइ-माइतल्लो, एक्को एसो च्चिय जियाण १. जिभा - जृम्भा = बगासुं इति भाषायाम्,
॥ ३८००॥ ॥ ३८०१॥ ॥ ३८०२।। ॥ ३८०३॥ ॥ ३८०४ ॥ ॥ ३८०५ ॥ ॥ ३८०६॥ ॥ ३८०७॥ ॥३८०८॥ ॥ ३८०९॥ ॥ ३८१०॥ ॥३८११ ॥ ॥ ३८१२॥ ॥ ३८१३॥ ॥ ३८१४॥ ।। ३८१५ ॥ ॥३८१६॥ ॥३८१७॥ ॥ ३८१८॥ ॥ ३८१९ ॥ ॥३८२०॥
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