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________________ बालिंदुसमाउ आगिईए, भालम्मि वच्छि सीसे वा । जस्स अपुव्वाउ सिराउ, अहव रेहाउ जायंति जस्स सिरे गोमयचुण्ण-वण्णचुण्णो सिणिद्धधूमो वा । उवलक्खिज्जइ खिज्जइ, मासंऽतो जीवियं तस्स दंता वि जस्स सहसा, सुपुफिया सक्कराऽऽउला लुक्खा । सामा वा होंति तमं-तगंऽतिगं पत्थियं जाण विरहे वि दंतरोगस्स, जस्स तेसिं अतक्कियं चेव। पडणं भंगो व भवे, भवंऽतरं तुरियगामी सो जीहा वि जस्स सामा, सुक्का सूणा पमाणओ अहिगा। हीणा वा थद्धा वा, सरणं मरणं खु तस्साऽवि अनिमित्तं अविलंबी, चक्खुस्सावो य लंबगे सोसो। जइ ता कमेण दससत्त-वासरंऽते धुवं मरणं कंठक्खोभे पहरा, तालुक्खोभे य आणुपाणुसया । अणवज्जवज्जपंजर-गयं पि पुरिसं जमो नेइ जस्संगुलीओ सहसा, फुडन्ति आयड्ढणं विणा चेव। सो वि अवस्सं काही, देही देहऽन्तरं तरसा अनिमित्तथक्कवयणो, अनिमित्तं चेव नट्ठदिट्ठी वा। वासरतिगंजइ परं, पुरिसो जीवइ न उवरिं पि सत्थो वि सरीरेणं, न नियइ नियवामखंधसिहरं जो। तं पिन चिरकालेणं, कालेणं कवलियं कलसु धरिसिज्जन्ता वि दढं, निस्सद्दा चेव जस्स करचरणा । जस्स य निसि दिसिमोहो, रेयं च सरन्तमऽइरित्तं छीयणकासणमुत्तण-किरियासुं कारणं विणा चेव । जस्स य अपुव्वसद्दो, जायइ जमकवलिओ सोऽवि ण्हायंतस्स वि नलिणी-दलं व सलिलेण छिप्पइ न जस्स । अंगं संगं काही, स जमेण समं छमासंऽतो ण्हायाऽणुलित्तगत्तस्स, जस्स सुक्कइ उरत्थलं पढमं । सेसंऽगेसुं उल्लेसु, अद्धमासं न सो जियइ तेल्लाऽऽविल व्व लुक्खा वि, जस्स सहसा भवंति सुसिणिद्धा। केसा असमारा वि हु, विभत्तसीमन्तजुत्ता य तहऽसंखित्तभुजुयलं, दीसइ य अतक्कियं सुसंखित्तं । अंतोपविट्ठमऽहवा, विणिग्गयं लुलियपम्हउडं धूयकवोयऽच्छिसमं, उम्मेसनिमेसरहियमऽच्छिजुयं । जस्स पणट्ठऽब्भत्ता-लोयं व लहुं मरइ सो वि नासा वि जस्स सहसा, कुडिला पिडगाऽऽउला दढं फुडिया। सवुडछिड्डा य भवे, भवंऽतरं सो वि अभिलसइ । अनिमित्तं चिय सत्ती, सील वाऊ सेई बलं बुद्धी। छक्कमिणं विणियत्तइ, छम्मासाऽऽसण्णमरणस्स नीसरइ देहवेहे, विगंधि अइकसिणसोणियं जस्स। जीहामूले सूलं, पाणितले वा महावियणा साडो तयकेसाणं, लुयरोमाणं न जस्स वुड्ढी य। हियए अईव उम्हा, जस्सुयरे पुण सुसीयत्तं वालविलुंचणवेयण-मऽणुभवइ न जो उ दिवसछक्केण । अवगच्छ गच्छमाणं व, माणवं तं जमपुरीए भणियं अटुिदारं, जो होज्ज विसिट्ठधारणाकलिओ। तं पुण पडुच्च जंत-प्पओगमह किंपि जंपेमि वक्खेवंऽतरविरओ, तग्गयचित्तो कओवयारविही। पढमं मज्झे नसिउं, अहिगयसत्तस्स नाम ततो ॐकारगब्भमऽग्गेय-मंडलं कोणमज्झठियरेहं। सोत्थियलंछियबाहिर-कोणं सिहिजालजडिलं व साऽणुस्सारअगाराइ-छस्सराऽऽवेढियं च पासेसुं। स्वाअक्खरमज्झगयं, चउपासट्ठियगुरुजयारं मारुयमंडलपरिवेढियं च, कप्पेत्तु निययबुद्धीए। तं पायतले हियए, सीसे संधीसु य नसेउं तो पट्ठीए सूरं, काउं सूरोदए च्चिय सुनिउणं । सपराऽऽउनिच्छयकए, नियछायं चिय पलोएज्जा जइ संपुण्णं पासइ, आवरिसंता न अस्थि मच्चुभयं । अह नियइ कण्णसुण्णं, ता जीवइ वरिसबारसगं करविरहे दस वरिसे, अंगुलिविरहे य अट्ठ वरिसाणि । खंधाऽभावे सत्त उ, पासाण अदंसणे तिण्णि नासाविरहे वरिसं, केसाऽभावे य जियइ तप्पणगं। सिरवियलच्छायाद-सणे नरो जियइ छम्मासं गीवाविरहे मासं, चिबुगाऽभावे य जियइ छम्मासं । एक्कारस चेव दिणाणि, दिट्ठीविरहे जियइ पुरिसो सच्छिड्डे पुण हियए, दीसंते सत्त वासरे जियइ । अह छायदुगं पासइ, जमपासे पडइ ता खिप्पं . पहायस्स य जस्संऽगाणि, कण्णपमुहाणि झत्ति सुक्कंति । पुव्वविहिभणियवच्छर-मासदिणेहिं स मरइ धुवं जंतप्पओगदारं, निदंसियं आउजाणणोवायं । एक्कारसमं चरमं, विज्जादारं भणामिण्डिं विज्जामंतकुऊहल-परो वि आराहगो तदऽपरो वा। सम्मं जह सपरगयं, कलेइ कालं तह भणामि विण्णसिऊण सिहाए, स्वा ॐ सीसे तहा क्षि चक्खुम्मि। पं ठविऊण य हियए, हा नाहीए नसित्तु तओ १. सई - स्मृतिः, ॥३२७७॥ ॥ ३२७८॥ ॥३२७९ ॥ ।। ३२८०॥ ॥ ३२८१॥ ॥ ३२८२ ॥ ॥ ३२८३॥ ॥ ३२८४ ॥ ॥ ३२८५॥ ॥ ३२८६ ॥ ॥३२८७॥ ॥ ३२८८॥ । ३२८९ ॥ ॥३२९०॥ ॥३२९१ ॥ ॥ ३२९२॥ ॥ ३२९३ ॥ ॥ ३२९४ ॥ ॥ ३२९५ ॥ ॥ ३२९६॥ ॥ ३२९७ ॥ ॥ ३२९८॥ ॥ ३२९९ ॥ ॥ ३३००॥ ॥ ३३०१॥ ॥३३०२॥ ॥३३०३॥ ॥ ३३०४ ॥ ॥ ३३०५॥ ।। ३३०६॥ ॥ ३३०७॥ ॥ ३३०८॥ ॥ ३३०९॥ ॥३३१०॥ ॥ ३३११॥ ॥ ३३१२॥ ।। ३३१३ ॥ 6
SR No.022285
Book TitleSamveg Rangshala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh
Publication Year2009
Total Pages378
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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