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________________ एकादश श्राद्धप्रतिमाः पसमाइगुणविसिद्धं कुग्गहसंकाइसल्लपरिहीणं । सम्मदंसणमणहं दंसणपडिमा हवइ पढमा १ ॥ ९८२ ॥ बीयाणुव्वयधारी २ सामाइकडो य होइ तइयाए ३ । होइ चउत्थी चउद्दसीअट्ठमिमाईसु दिवसेसु ॥ ९८३ ॥ पोसह चउव्विपि य पडिपुण्णं सम्म सो उ अणुपाले । बंधाई अइयारे पत्तओ वज्जईमासु ॥ ९८४ ॥ सम्ममणुव्वयगुणवयसिक्खावयवं थिरो य नाणी य । अट्ठमीचउदसीसुं पडिमं ठाएगराईयं ॥ ९८५ ॥ असिणाण वियडभोई मउलियडो दिवसबंभयारी य । रति परिमाणकडो पडिमावज्जेसु दिवसेसुं ॥ ९८६॥ झायइ पडिमाऍ ठिओ तिलोयपुज्जे जिणे जियकसाए । नियदोसपच्चणीयं अन्नं वा पंच जा मासा ॥ ९८७ ॥ सिंगारकहविभूसुक्करिसं इत्थीकहं च वज्जितो । वज्जइ अबंभमेगं तओ य छुट्टाइ छम्मासे ॥ ९८८ ॥ सत्तमि सत्त उ मासे नवि आहारइ सचित्तमाहारं । जं जं द्विल्लाणं तं तं चरिमाण सव्वंपि ॥ ९८९ ॥ आरंभसयंकरणं अट्ठमिया अट्ठ मास वज्जेइ । नवमा नव मासे पण पेसारंभेऽवि वज्जेइ ॥ ९९०॥ दसमा दस मासे पुण उद्दिट्ठकiपि भत्त नवि भुंजे । सो होइ उ छुरमुंडो सिहलिं वा धारए कोई ॥९९९॥ जं निहियमत्थजायं पुच्छंत सुयाण नवरि सो तत्थ । जइ जाणइ तो साहइ अह नवि तो बेइ नवि याणे ॥ ९९२ ॥ खुरमुंडो लोएण व स्यहरणं पडिग्गहं च गिण्हित्ता । समणो हूओ विहरइ मासा एक्कारसुक्कोसं ॥९९३॥ ५८५
SR No.022276
Book TitleGurugun Shattrinshtshatrinshika Kulak Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnabodhivijay
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2014
Total Pages410
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size30 MB
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