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________________ ANDuration: + सिद्धान्तसार.. (७९) हवे जुर्म ! जे कर्म श्राववानां मिथ्यातादिक श्रोत्रने विषे गृह , तथा जेणे अष्ट कर्मनो बंध बेद्यो नथी, धनधान्य छिपद चतुःपदादि संजोग गेमयो नथी तथा मोहरूपी अंधकारने विषे (आत्महित) मोक्षनो उपाय जाएयो नथी, तेने श्री जिनाझानो लान नथी. त्यारे हे देवानु. प्रीय ! एकिंछियादिक मिथ्यात्वी जीव, जे ज्ञान दर्शन चारित्ररुप मोक मार्गने न जाणे, तेने श्राझानो लान्न क्याथी थाय ? ए न्याये मिथ्यात्वीनी करणी भाशाबाहार डे,अनेसाझा बाहार पुन्य बंधाय जे. वलीनगवतीजी सूत्र श०१७मे जम्बीजे मिथ्यात्वी जीवने एकान्त अधर्मी कह्या. ते पाठः-. जीवाणं ते!। किं धम्मेच्यिा अधम्मच्यिा धम्माधम्मे हिया ? गो० ! जीवा धम्मेडियावि अधम्मेहियावि धम्मा धम्मेहियावि। नेरश्याणं पुडा गो ! नेरश्या णोधम्मेहिया, अधम्मेहिया, नोधम्माधम्मेहिया एवं जाव चरिंदियाणं॥ पंचदियतिरिकजोणियाणं पुजागो! पंचेंदिय तिरिकजोणिया नोधम्मध्यिा अधम्मेहिया धम्माधम्मेज्यिा ॥ मणुस्सा जहाजीवा वाणमंतर जोइसिय वेमाणि य जहानेरश्या|अणबियाणं नंते! एव माइकइ जाव परूवेति एवंखलु समणापंमिया समणोवासया बालपंमिया जस्सणं एग पाणावि दंमेअनिखिते सेणं एगंत बालेत्ति वत्तवंसिया।सेकहमेयं नंते! एवं ? गोo! जेणंते अणनबिया एवं आइस्कंति जाव वत्तबंसिया जेते एवमादंसु मिचंते एवमादंसु अहं पुण गोयमा! एवमाश्खामि जाव परूवेमि एवंखलु समणापंमिया समणोवासया बालपंमिया जस्सणं एग पाणाएवि दंमेनिकत्ते सेणं नो एगंतबालेति वत्तवंसिया ॥ जिवाणं नंते ! किंबालापंमिया बालपंमिया ? गो! जिवा बालावि पंमियावि बालमियावि ॥ नेरझ्याणं
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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