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(२४)
+ सिद्धान्तसार..
सेजेश्मे गंगाकुलगा वणपत्था तावसा नवंति तंजदा-होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण सढई घालई दुपश्का दत्तुकलिया जमाका संमजाका निमजाका संपरकाला दक्षिणकूलका उत्तरकूलका संखधमका कूलधमका मिगखूद्धका हबितावसा नदंडका दिसापोखिणो वाकवासिणो अंबुवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो वेलवासिणो रुखमूलया अंबुनरिकणो वानन्तरिकणो सेवालकिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुष्फादारा फलादारा बोयादारा परिसमिय कंदमूल तयपत्त पुप्फफलादारा जलाभिसेय कढिण गाय या आयावणादि पंचग्गीतावेदिं इंगालसोल्लियं कंसोल्लियं कठसोल्लियंपिव अप्पाणंकरेमाणा बदुई वासाइं परियायं पानणंत्ति श्त्ता कालमासे कालंकिचा नक्कोसेणं जोइसिएम देवेसु देवत्ताए उववत्तारो नवंति. पलिनवमं वास-सय-सदस्स मझदियं विई परमत्ता. आराहणा ? णोश्ण समहे ॥
अर्थः-से ए संसारिक जीव गं0 गंगा नदीना कांठे जमणा डाबा पासाने विषे व० वाणप्रस्थ तापत तप श्रने कष्टना करणहार वनमां गम करी रह्या , ते केवा होय तं ते कहेले हो अग्निहोत्रीना करणहार पो० वस्त्रना धरणहार को जशना करणहार जण यज्ञना करणहार सण श्रद्धावंत शास्त्रना शांजळनार, नाजननु नपगर्ण साथे राखीने प्रवर्ते, एक कममल राखे, फळ नदेन एकवार पाणीमां पेसीने तत्काळ नीसरे स वारंवार स्नान करे नि स्नानने अर्थे वारंवार पाणीमां सुबका मारी रहे संमाटीए घसीघसीने स्नान करे द गंगानदीने दक्षिएकांठे वसे नगंगानदीना नतरकांठे वसे संग शंख पुरोने (वगामीने) जमे