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________________ ( ३३० ) 4 सिद्धान्तसार. पशम थयो ने त्रीजी चोकमी नदयजावमां बे तेने देसवति श्रावक कहीए. तमे ए सूनी रेसना जाएया थका आगारने त कहोबो; पण संथारामां श्रावकने पापनो शुं प्रागार रह्यो ते बतावो वली वि साधुने व्यवहारमां सर्वथा पापना त्याग के अने तेने केवली सर्वथा अति सर्द बे. दवे प्रजवि साधुने कया पापनो आगार रह्यो ते वतावो. इहांतो चोककोना उदयज्ञावने अव्रत कयुं छे. दवे जो बीजी चोकमीना उदयजावने अनत कहीए तो ते श्रवततो श्रावकने मुसश्री नथी, ( शाख सूत्र जगवतीजं । सतक पढ़ेले) ने त्रीजी चोकमी उदयनावमा बे तेना जोगथी पुल उपर ममत- जाव, राग द्वेष ने शुभ जोग प्रवर्ते, ते जोगना पाप श्री सूयगकांग तथा उववाइ सूत्रमां कोइक पापथी निवर्त्य कला ने कोइक पापथी नथी निवर्त्या कह्या. त्यांतो अशुभ जोगना पाप श्राश्री का वे. तमे सूयगमांग तथा नववाइ सूत्रनां जुठां नाम लेइ श्रावकना खावा, पीवा, घरेणां छाने कपकां प्रमुखने मतने ली अवत केम कहो हो ? वली ए उपगरी धर्मनी साज निमीत्ते सेवे सेवरावे तो शुभजोग निर्जरानी करणी कहीए. मां पाप कया सूत्रमां कयुं बे ते पाठ बतावो . वली श्रावकना खावा पोवामां तथा खवराववामां पाप कहे बे ते पुढ के, जीव सहित वस्तु खाय पीए अथवा व कायनो श्रारंभ करीने खाय अथवा बीजाने खवरावे, ते यरंजनुं तो पाप बेज; पण कोइ श्रावक साधुनी परे संसारथ । विरक्तनावे श्रावकपणुं पासवाने अर्थे - जीव पुद्गल खाय, प्रासुक पाणी पीए, नेना खावा पीवा ने पहेरवा - मांशुं तथा तेने को खवरावे तेमां शुं ? तेवारे तेरापंथी कहे बे के, श्रचेत खाय तोपण तेनुं खावुं पीतुं पापमांज बे. तेनो उत्तर. दे देवानुप्रीय! पाप तो ढार बे. तेना तो संथारामां सर्वथा प्रकारे त्रण करण भने त्रण जो करीने जावजीव सुधीना त्याग कर्या; तेमां सर्व पापनी वस्तुनो तो त्याग सर्व काम ढार पापना त्याग नेगां थइ गयां. त्यारे वर्णनागनतुवे तथा अंमरुजीना शिष्योष चार अहारना न्यारा त्याग केम कर्या ? ए जंग:
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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