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तेमां भवितव्यता ए कारण छे. ए बधुं होवा छतां अांबा वावनार नां उद्यम अने तेनुं भाग्य होय तोज प्रांबा आवे छे. एम दरेक कार्य मां पांच कारणो रहेलां होय छे. तेम आ जगत नी रचना अने तेनो संहार रूप कार्य मां कालादि पांच कारणो रहेलां होय छे. एटले ए पांच कारणो जगत रचना अने संहार मां कारण भूत छे, एम ज्ञानी भगवंतो नुं कथन छे. . ब्रह्म नुब्रह्म मां लीन थQ अने ज्योति नु ज्योति मां मिलन
नूलम् मुनिश्वराः! ब्रह्मरिणब्रह्मलीयते,ज्योतिस्तथा ज्योतिषि संविशेदिति कथं प्रवादो घटते महात्मना-मयं विनाब्रह्मपुराणवेदिनाम् ।४। गाथार्थ :- हे मुनिवरो ! ब्रह्म मां ब्रह्म मुं लीन थवं अने ज्योति मां ज्योति नुं मलq एवं पुरातन तत्त्व ज्ञानी एवा महात्माप्रोनुं पा कथन ब्रह्म विना केम घटे ? विवेचन : जैन शासन नी एवी मान्यता छ के कोई पण संसारी प्रात्मा मनुष्य भव, आर्य क्षेत्र, उत्तम कुल अने सद्गुरू नो संजोग पामी जिनेश्वर देवनी वाणी न अमत पान करतां सम्यक्त्व पामी संसार नी असारना जाणी, जीवादि तत्त्वो नुं सम्यग् ज्ञान मेलवी सर्व विरति रूप सम्यक् चारित्र नी आराधना करी, चार घाती कर्मो खपावी,