________________
( १६४ ) केवल ज्ञान प्राप्त करी अने चार अघाति कर्मो नो क्षय करे छे; त्यारे ब्रह्म मां ब्रह्म लीन थाय अने ज्योति मां ज्योति मली जाय छे. आq प्राचीन तत्व ज्ञानियोन कथन छे. तो आ कथन ब्रह्म विना केम घटे ? तेनो प्रत्युत्तर आगल नी गाथा मां बतावाय छे.
मूलम:निशम्यतां ज्ञानमिदं वदन्ति, ब्रह्मति वा ज्योतिरथेति विज्ञाः तदेकसिद्धस्यहिब्रह्मयावत्, क्षेत्र श्रयेत्सर्वदिशा स्वनन्तम् ।। तावद् द्वितीयस्य तृतीयकस्य, सिद्धस्य ब्रह्माश्रयते तदेव । एवं ह्यनन्तामितसिद्धनाम्नां,ब्रह्माश्रयेत्क्षेत्रमहोतदाश्रितम् ।। तेनेतिगीर्बह्मरिणब्रह्मलीयते,ज्योतिस्तथाज्योतिषिसम्मिलत्यथ अयं प्रवादो मुनिभिःपुरातनैः,समाश्रितोब्रह्मयथार्थवेदिभिः।७।
गाथार्थ :- सांभलो, तत्त्व ज्ञानियो ज्ञान ने ब्रह्म अथवा ज्योति कहे छे. तो एक सिद्ध नं ज्ञान सर्व दिशाम्रो मां अनंत प्रमाण क्षेत्र ने आश्रयी रहे छे. बीजा, त्रीजा एम अनंत सिद्धो नुं ज्ञान पण अनंत प्रमाण क्षेत्र ने आश्रयी रहे छे. ते कारण थी ब्रह्म मां ब्रह्म लीन थाय छे, ज्योति मां ज्योति मले छे. एम ब्रह्म ने यथार्थ जाणकार प्राचीन मुनिप्रोनुं आ कथन छे.