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महाराजे मुनिजीवनना प्रारंभ काळमां वैराग्ययुक्त मानस साथे रच्या छे. संगीतप्रिय जीवोने बोलवा अने सांभळवा गमे तेवा छे श्लोकोनुं विवरण पण अमारा पूज्यपाद गुरुश्रीए करेलुं छे जेनो सदुपयोग थाय एवी आशा साथे विरमु छं.
समर्थ विध्वान् पूज्य आचार्य श्री धर्मधुरन्धर सूरिजी महाराजना शिष्य पं. कुन्दकुन्द वि. पुनाली जैन उपाश्रय जी. डुंगरपुर राजस्थान.
ता. क. आ वैराग्य शतक पुस्तक छपाववानी भावना जालोर जील्लामां आवेला उमेदाबाद (गोल) गामना २०५०ना चातुर्मास दरम्यान थई हती. आ गामनो संघ भद्रिक, सरळ परिणामी अने नानो छता मोटा काम करनारो छे एवं कह्या सिवाय रही शकातुं नथी.
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