________________
(१५) हति के) जस्म करे ने केनी पेठे ? तोके (पुमं के०) वृक्षने (दवश्व के०) दावानल जे तेज जेम. अर्थात् जेम दावानल वृदने बाले ले तेम. वली (नीति के०)न्यायने (उन्मथ्नाति के०)उन्मूलन करे . केनी पेठे ? तो के (दंती के०) इस्ती (खतामिव के)लतानेज जेम. अंर्थात् हाथी जेम लताने उखेडी नाखे ने तेम. वली जे क्रोध (नृणां के०) मनुष्योनी (की ति के) कीर्तिनें (लिभाति के) क्वेश पमाडे बे. अर्थात् कीर्त्तिनो नाश करे . केनी पेठे ? तो के (विधुतुदः के०) राद्ध, (इंफुकलामिव के०.) चंडकलानेज जेम. वली जे क्रोध, (स्वार्थ के०) खार्थने ( विघटयति के०) नाश करे , केनी पवें? तो के (वायुः के०) वायु जे डे, ते (अंबुदमिव के) मेघनेज जेम. वली जे क्रोध, (आपदं के) कष्टने (उदासयति के०) विस्तारे . केनी पेठे ? तो के (धर्मः के०) गरमी, (तृष्णामिव के०) तृ. षानेज जेम, अर्थात् जेम तापमां तृषा वधे जे तेम. वली ते कोप केहवो . ? तो के (कृतकृपालोपः के०) कस्यो डे कृपानो नाश जेणे एवो ॥ ४ ॥ क्रोधप्रक्रम संपूर्ण ॥