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________________ छ असना बोळ. आराने विषे ज्ञान तथा सूत्र सर्वे विछेद जाशे. तेमां दशवैकालिकना अध्ययन ४ पहेला रहेशे. ते उपरे ४ जीव एका अवतारि थाशे तेनां नाम. दुपसह नामा साधु. फल्गुणि नामा साध्वि. मागील श्रावक. नागधि श्राविका ए ४ आषाड सुद पूनमने दिने शर्केद्नु आसन चलशे तेवार शकेंद्र उपयोग मुकि जोशे जे आज पांचमो आ उतरीने काले छठो आरो बेसशे तेवारे शकेंद्र आवशे. ते ४ जीवने कहेसे जे काले छठो आरो बेसशे माटे आलवी पडिकमी निसलथाओ ते ४ जीव सर्व जीवने खमाविने संथारोकरशे ते वारे संवर्तक वायरो थाशे. तेणे करीने पहाड, पर्वत, गढ, कोठा, वाव, कुवा, सरोवर सर्वे वोसराल थाशे. वैवाढ पर्वत, गंगा, सिंधु, ऋषभकुट, लवण समुद्रनिखाडी ए ५ वर्जिने शेष सर्व स्थानक त्रुटी पडशे. ते ४ जीव समाधि परिणामे काल करीने देवलोकमां जाशे, तेवारे ४ बोल विछेद जाशे. पेहले पोहरे जैन धर्म विछेद जशे. बीजे पोहरे ३६३ पाखंडी मिथ्यातिनो धर्म विछेद जाशे, त्रीजे पोहरे राज नीति विछेद जाशे. चोथे पोहरे बादर अग्नि विछेद जाशे. ए आरे बेसता गति ५ जाणवी. उतरता ४ गति ते मोक्ष अटकी. इति पांचमो आरो संपूर्ण हवे पांचमो आरो उतरीने छठो आरो बेसशे तेवारे अनंता वर्ण, गंध, रस, स्पर्सना पर्यव हीणा थशे. ए आरो एकवीस हजार वर्षनो जाणवो. ए आरो दुसमदुसम नामा एकलुं दुःखमां दुःख जाणवू, ए आरे एक हाथर्नु देहमान ने २० वर्षतुं आउखु. उतरते आरे मूंढा हाथनी काया ने सोल वर्षतुं आउखु जाणवू. ए आराने विषे १ छेवटुं संघयण ने हुंड संठाण जाणवू. उतरते आरे पण एमज जाणवू. ए आराने विष आठ पासली. उतरते
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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