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________________ अठाणुं बोल. ४३ थलचर नपुंसक संख्यातगुणा ६५ सुक्ष्म पृथ्वी अप्रजाप्ता विसे० ४४ जलचर नपुंसक संख्यातगुणा ६६ सुक्ष्म अपकाया अप्रजाप्ता वि० ४५ चउरिंद्रिय प्रजाप्ता सं०६७ सुक्ष्म वाउकाया अप्रजाप्ता वि० ४६ पंचेद्रीय प्रजाप्ता विसेषाहीया ६८ सुक्ष्म तेउकाया प्रजाप्ता सं० ४७ बेइंद्रिय प्रजाप्ता विसेषाहीया ६९ सुक्ष्म पृथ्वीकाया मजाप्ता वि० ४८ तेइंद्रीय प्रजाप्ता विसेषाहीया ७० सुक्ष्म अपकाया पर्याप्ता विसे० ४९ पंद्रीय अप्रजाप्ता असं०७१ सुक्ष्म वाउकाया पर्याप्ता वि० ५० चउरिंद्रीय अप्रजाप्ता विसे०७२ सुक्ष्म निगोदीया अपर्याप्ता अ० ५१ तेइंद्रीय अप्रजाप्ता विसेषाहीया ७३ सुक्ष्म निगोदीया प्रजाप्ता सं० ५२ बेइंद्रीय अप्रजाप्ता विसेषाहीया ७४ अभव्य अनंतगुणा ५३ वादर प्रत्येक शरीरि वनस्पति ७५ पडिवाइ समद्रष्टी अनंतगुणा प्रजाप्ता असंख्यातगुणा ७६ सिद्धभगवंतजी अनंतगुणा ५४ बादर निगोदीया प्रजाप्ता अ० ७७ बादर वनस्पति प्रजाप्ता अनं० ५५ बादर पृथ्वीकाया प्रजाप्ता अ० ७८ बादर प्रजाप्ता विसेषाहीया ५६ बादर अपकाया प्रजाप्ता अ० ७९ बादर वनस्पतिअपर्याप्ताअसं० ५७ बादर वाउकाया प्रजाप्ता अ० ८० बादर अप्रजाप्ता विशेषाहीया ५८ बादर तेउकाया अप्रजाप्ताअ० ८१ समुचय बादर विसेषाहीया ५९ बादर प्रत्येक शरीरि वन- ८२ सुक्ष्म वनस्पति अपर्याप्ताअसं० स्पति० अप्रजाप्ता असं० ८३ सुक्ष्म अपर्याप्ता विसेषाहीया ६० बादर निगोदीया अप्रजाप्ताअ० ८४ सुक्ष्म वनस्पति पर्याप्ता सं० ६१ वादर पृथ्वी अप्रजाप्ता असं० ८५ सुक्ष्म पर्याप्ता विसेषाहीया ६२ बादर अपकाया अग्रजाप्ता अ० ८६ समुचय सुक्ष्म विसेषाहीया ६३ बादर वाउकाया अप्रजाप्ता अ० ८७ भव्य सिद्धीया विसेषाहीया ६४ सुक्ष्म तेउकाया अपजाप्ता अ० ८८ निगोदीया जीव विसेषाहीया
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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