________________
मधु दंडक.
नव पल्पनी, अने अपरिग्रहित देवीनी, ज० एक पल्यनी झामेरी उ० पंचावन पल्यनी. त्रीजे देवलोके ज० बे सा० उ० सात सा० तिहां देवी नथी पण तेडावी जाय. चोथे देवलोके ज० बे सा० झाझेरी, उ० सात सा० झाझेरी. पांचमे देवलोके ज० सात सा० उ० दस सा०. छठे देवलोके ज० दस सा० उ० चऊद सा० सातमे देवलोके ज० चऊद सा० ऊ० सतर सा० आठमे देवलोके ज० सतर० सा० उ० अढार सा०, नवमे देवलोके ज० अढार सा० उ० उंगणीस० सा० दसमे देवलोके ज० उंगणीस सा०, ऊ० वीस सा० अग्यारमे देवलोके ज० वीस सा० उ० एकविस सा०, बारमे देवलोके ज० एकविस सा० उ० बाविस सा० प्रथम ग्रैवेयके ज० बाविस सा० उ० त्रेविस सा० बीजो ग्रैवेयके ज० त्रेविस सा० उ० चोविस सा०, त्रीजी ग्रैवेयके ज० चोविस सा० उ० पचीस सा०, चाथी ग्रैवेयके ज० पचीस सा० उ० छविस सा०, पांचमी अवेयके ज० छविस सा० उ० सताविस सा० छठि ग्रैवेयके ज० सताविस सा० उ० अठाविस सा०, सातमी ग्रैवेयके ज० अठाविस सा० उ० उंगणत्रिस सा०, आठमी अवेयके ज० उंगणत्रिस सा० उ० त्रिस सा०, नवमी ग्रैवेयके ज० त्रीस सा० नी उ० एकत्रिस सा० ४ अनुत्तर विमानमां ज० एकत्रोस सा० उ० तेत्रीस सा० सर्वार्थसिद्धमां ज० ने उ० तेत्रीस सा० समेहिया ने असमाहिया ए वे मरण लाभे. चवण ते चविने पेहेला बीजा देवलोकना देवता पांच दंडकमां जाय. पृथ्वी, पाणी वनस्पति, मनुष्य ने तिचए पांच त्रीजाथी ते आठमा देवलोकना देवता बे दंडकमांजाय. मनुष्य,नेत्रियचमां नवमेथी मांडीने सर्वार्थसीद्धलगेना देवता एक दंडकमां जाय. मनुष्यमां. गइ ते मरीने पेहेलाथी मांडीने आठमां देवलोकना देवता