SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. सुमिना गर्भज मनुष्यमांत्रण वेद.स्त्री पुरुष ने नपुंषक. पर्या:समुर्छिमने चार, भाषाने मन नही. गर्भजने छ पर्या. दृष्टी समुछिमने एक मिथ्यात. दस अकर्मभुमामां बे दृष्टी. समकित ने मिथ्यात. वीस अकर्मभुमीने छपन्न अंतरद्वीपामां एकमिथ्यातदृष्टी. कर्मभुमिना मनुष्यमा त्रणे दृष्टी. दर्शन समुर्छिम अने जूगलीयाने बे. चक्षुदर्शन ने अचक्षुदर्शन. गर्भजने दर्शन चारे लाभे. दसअकर्मभुमीमां ज्ञान बे अने वीसअकर्म भूमी ने छपन्न अंतरद्वीपा ने समुर्छिममा ज्ञान नथी. गर्भजने ज्ञान पांच. अज्ञान समुर्छिमने ये मति अज्ञान न श्रुतअज्ञान, गर्भजने त्रण.जोग समुर्छिम ने त्रण उदारिकना बे ने १ कार्मणकायजोग ए त्रण. जूगलीयाने जोग ११ ते मनना ४, वचनना ४, उदारिकना २, कार्मण १, एवं जोग ११. गर्भजने पनर जोग. दश अकर्मभूमी ते पांच देवकुरु पांच ऊत्तरकुरु ए दशमां ऊपयोग ६. ते २ ज्ञान, २ अज्ञान, २ दर्शन ए ६. अने वीस अकर्मभूमी ५६. अंतरद्वीपामां ने समुर्छिमने बे अज्ञान, बे दर्शन ए ४. गर्भजने बार ऊपयोग. तिमज आहार ले तो जघन्यने उत्कृष्टो छ दिसनो. तथा त्रण प्रकारे आहार ले. उंच रोमने कवल ते पण सचेत, अचेतने मिश्र. ऊववाय ते आवीने उपजे. समुर्छिममा आठ दंडकना, पृथ्वी, पाणी, वनस्पति, त्रण विगलेंद्री, मनुष्य ने तिर्यच ए आठनो. जुगलीयामां २ दंडकनो ते मनुष्य ने तिर्यचनो गर्भज मनुष्यमां बाविस दंडकना ऊपजे ते तेऊवाऊना नही. स्थिति समुछिमनी जघन्यने उत्कृष्टी अंतर्मुहूर्तनी. गर्भजनी आरानी परे जाणवी. पहेले आरे बेसतां त्रण पल्योपमनी, ऊतरतां बे पल्योपमनी. बीजे आरे बेसतां बे पल्यापयनी, उतरतां एक पल्योपमनी. त्रीजे आरे बेसतां एक पल्यापमनी, उतरतां पूर्व क्रोडनी. चौथे आरे बेसतां पूर्व क्रोडनी, उतरतां
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy