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लघु दंडक. ध्यमां शरीर त्रण. उदारिक, तेजस ने कार्मण. जुगलीयामां सरीर त्रण तेहीज. कर्मभुमिमनुष्यमां सरीरपांच लाभे. अवघेणा, समुछिमनि जघन्य ने उत्कृष्टी अंगुलना असंख्यातमा भाग, अने गर्भज मनुप्यनी भरत ईरवतमां आराना परे जाणवी. पहेले आरे बेसतांत्रण गाउनी, उतरतां बे गाउनी. बीजे आरे बेसतां बे गाउनी, उतरतां एक गाउनी. त्रीजे आरे बेसतां एक गाउनी, उतरता पांचसें धनुषनी. चोथे आरे बेसतां पांचसें धनुषनी, उतरतां सात हाथनी. पांचमे आरे बेसतां सात हाथनी, उतरतां एक हाथनी, छठे आरे बेसतां एक हाथनी,उतरतां मुंढा हाथनी. पछे चडतां अवला सवली जाणबी. ५ महाविदेहमां पांचसें धनुषनी उत्तर वैक्रेय करे तो ज० अंगु० संख्या० उ० लाख जोजन ज्ञाझेरी. हेमवय, इरणवयमां ज० अंगु० असं० उ. एक गाउनी. हरिवास, रमकवासमां ज० अंगु० असं० उ० बे गाउनी. देवकुरु उत्तरकुरुमां ज० अंगु० असं० उ० त्रण गाउनी. हवे छपन्न अंतर द्विपामां ज० अंगु० असं० उ० आठसें धनुषनी, संघयण समुर्छिम ने एक छेवटुं जुगलियाने एक वज्ररुषभनाराचसंघयण. पन्नर कर्मभुमिना गर्भज मनुष्यने छ संघयण. संठाण समुछिमने एक हुंड. जुगलियाने एक समचउरंस. कर्मभुमिना गर्भज मनुष्यने छ संठाण कषाय चारे पण मनुष्यने मान घj. संज्ञा चारे पण मनुष्यने मैथुन संज्ञा घणी. लेस्यासमुर्छिमने त्रण पेहेली जुगलीयाने लेस्या चार पहेली. गर्भज ने छ लेस्या. इंद्री पांचे. समुद्घात समुर्छिमने त्रण, वेदनी कषाय ने मरणांतिक. जुगलियाने समुद्घात त्रण तेहीज कर्मभुमीना गर्भज मनुष्यने सात समुद्घात. समुर्छिम असंज्ञी, गर्भजसंज्ञी. वेद समुर्छिमने एक नपुंसक. जुगलियामां वेद वे. स्त्री ने पुरुष. कर्म