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लघु दंडक. सो वरस झाझेरानी. पांचमे आरे बेसतां सा वरस झाझेरानी, उतरते आरे विस वरसनी. छठे आरे बेसतां वीस वरसनी, उतरते आरे शोल वरसनी. एम चडतां उतरतां अवला सवली जाणवी. हिमवय इरणवयमा एक पल्योमनी, हरिवास रमकवासमां थे पल्यापमनी, देवकुरु उत्तरकुरुमां त्रण पल्योपमनी छपन्न अंतरदिपामां पल्यापमनो असंख्यातमा भाग ५ महाविदेहमां पूर्व क्रोडनी. समोहिया ने असमाहिया ए बे मरण छे. चषण ते चवीने समुर्छिम दस दंडकमां जाय. पांच स्थावर ने त्रण विगलेंद्री, मनुष्यने तियेच एवं दस. जुगलीया एक देषगतिमां जाय. गर्भजचोविसे दंडकमां जाय. गइ ते मरीने समुर्छिम बे गतिमां मनुष्य ने तिर्यंचमां जाय. गर्भज मनुष्य पांच गतिमां जाय. आगइ ते समुर्छिमने जुगलीयामां
आवे तो बे गतिनो, मनुष्य ने तिचनो. गर्भजमां चार गतिनो आवे. प्राण समुर्छिमने आठभाषा ने मन नही. गर्भजने दस माण. जोगसमुछिमने एक कायानो. गर्भजने त्रण जोग, इति एकविसमो मनुष्यनो दंडक संपूर्ण. २१
हवे बाविसमा वाणव्यंतरनो दंडक. तेमां शरीर त्रण वैक्रेय, तेजस ने कार्मण. अवघेणा ज० अंगु० असं० उ० सात हाथनी, अने उत्तर वैक्रेय करे तो ज० अंगु० संख्या० उ० लाख जोजननी. संघयण नथी. संठाण एक. समचउरंस. कषाय चारे पण देवता ने लोभ घणो, संज्ञा चारे पण देवताने परिग्रह संज्ञा घणी. लेस्या चारपहेली. इंद्री पांचे. समुद्घात पांच. आहारकने केवल नही. संज्ञी असंज्ञी बे. वेद बे. स्त्री ने पुरुष. पर्या ४ भाषा मन भेला बांधे. दृष्टि त्रण. दर्शन त्रण. ज्ञान त्रण. अज्ञान त्रण. जोग अगीयार. चार मनना, चार वचनना, त्रण कायाना.