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लघु दंडक. पृथ्वी, पाणी ने वनस्पतिमां वीस दंडकना एक नारकी वरजीने अने तेउ वाउमां दस दंडकना आवीने उपजे. पांच स्थावर, त्रण विग्लेंद्री, मनुष्यने तिर्यच, एवं दसना, स्थिति पृथ्वीनी ज० अंतर्मुहूर्तनी, उ० बाविस हजार वरसनी. पाणीनी ज० अंतर्मुहूर्तनी उ० सात हजार वरसनी, तेउनी ज० अंतर्मुहूर्तनी उ० त्रण अहोरात्रीनी, वायरानी ज० अंतर्मुहूर्तनी उ० त्रण हजार वरसनी, वनस्पतिनी ज० अंतमुहूर्तनी उ० दस हजार वर्षनी. समोहियामरण अन्ने असमोहियामरण ए बे मरण छे. चवण ते चविने पृथ्वी, पाणी ने वनस्पति दस दंडकमां जाय. पांच स्थावर, त्रण विगलेंद्रि मनुष्यने तिर्यंचमां जाय. अने तेउ, वाउ नव दंडकमां जाय. पांच स्थावर त्रण विगलेंद्रिने तिचए नव. गइ क० ते मरीने पृथ्वी, पाणीने वनस्पति बे गतिमां जाय. मनुष्य ने तिर्यंचमां अने तेउ वाउ एकगतिमां जाय तिर्यचमां. आगइ ते आवे पृथ्वी पाणी ने वनस्पतिमां त्रण गतिनो आवे. देवता मनुष्यने तिर्यचनो, अने तेउ वाउमां बेगतिनो आवे, मनुष्य ने तिर्यचनो. प्राण पांचे ने च्यार एकेंद्रिपणुं. कायबल, स्वासोस्वास, आउखु, जोग एक कायजोग. इति पांच स्थावरना पांच दंडक संपूर्ण. हवे त्रण विगलेंद्रियना ३ दंडक कहेछे. बेइंद्रि, तेरेंद्री, चोरिंद्रीमां सरीर त्रण. उदारिक, तेजस, कार्मण, अवघेणा. बेइंद्रीनी ज० अंगुलना असंख्यातमो भाग. उ० बार जोजननी, तेरीदिनी ज० अंगुलना असंख्यातामा भाग उ० त्रण गाउनी. चरिंद्रीनी. ज० अंगुलना असंख्यातमो भाग, उ० च्यार गाउनी. संघेण एक छेवटु. संठाण एक हुंड. कषाय चारे. संज्ञा च्यारे. लेस्या त्रण पेहेली. इंद्री बेरिंद्रीने बे काया, जिभ. तेरिंद्रीने इंद्री, ३.