SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रहः वीशमे बोले वीस प्रकारे जीव तिर्थकर गोत्र बांधे ते कहे छे:--अरिहंतना गुण ग्राम करे तो कर्मनी क्रोड खंपावे, उत्कृष्ट रस आवे तो तिर्थकरगोत्र बांधे १. सिद्धना गुणग्राम करे तो २. सिध्धांतना गुणग्राम करे तो ३.गुरुना गुगग्राम करे तो ४.स्थिवरना गुणग्राम करे तो ५. बहुसूत्रीना गुणग्राम करे तो ६. तपस्वीना गुणग्राम करे तो ७. ज्ञान उपर उपयोग वारंवार राखे तो ८. शुद्ध समकित पाळे तो ९. विनय करे तो १०. बे वखत पडिक्कमणुं करे तो ११. वृत पचखाण चोख्खां पाळे तो १२. धर्मध्यान शुक्लध्यान ध्यावे तो १३. बार भेदे तप करे तो १४. सुपात्रने दान दे तो १५.वैयावच्च करेतो १६.सर्व जीवने सुख उपनावे तो १७. अपूर्व ज्ञान भणे तो १८. सूत्रनी भक्ति करे तो १९. तिर्थकरनो मार्ग दीपावे तो २०. ए विस. - एकवीसमे बोले श्रावकना एकवीश गुण कहे छे:-अशुद्र १. जशवंत २. सौम्य प्रकृति ३. लोकप्रिय ४. स्वभाव आकरो नहि ५. पापथी डरे ६. श्रद्धावंत ७. लब्धलक्ष ८. लज्जावंत ९. दयावंत १०. मध्यस्थ ११. गंभीर १२. सौम्य द्रष्टी १३. गुणरागी १४. धर्मकथक १५. साचानो पक्ष करनार १६. शुद्ध विचारी १७. घरडानी रीते चालनार १८. विनयवंत १९. कीवेला गुगने भुले नहि २०. परहितकारी २१. एएफवीश. बावीसमे बोले बावीस जण साथे वाद न करवों ते कहे छे:-धनवंत साथे १.बळवंत साथे२.घगा परिवार साथे ३.तपस्वी साथे ४. हलका माणस साथे ५.अहंकारी साये ६.गुरु साथे ७. स्थीवर साथे ८. चोर साथे ९. जुगारी साथे १०. रोगी साथे ११. क्रोधी साथे १२. जुठाबोला साथे १३. कुसंगी साथे १४.राजा साथे १५०
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy