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१६४ योनी पदनो थोकडो. एवं १२ अंतर नदीयो छे, ते एकेकि सवासो सवासो जोजननी पहोलो छे अने अढि अढि जोजननी उडी छे. १६५९२ जोजन ने २ कळानी लांबी छे. ते १२ अंतर नदीना नाम कहे छे. गाहावइ, दहावइ, पंकावइ, ततजला, मतजला, ऊमतजला, खिरोदा, सिंहसोया, अंतो वाहिणी, अमि मालिनी, फेणमालीनी, गंभीर मालिनी. एवं सर्व थइ महोटि नदीयो १४, ६४, १२, थइने ९० नदीयो थइ. एहनो परिवार सर्व नदीयोनो थइने, १४५६०९० नदीयो थाय इति १० मो सलिला द्वार संक्षेपथी समाप्तं १० इति खंडाजोयण समाप्त.
अथ श्री योनी पदनो थोकडो.
श्री पन्नवणाजी सूत्र पद ९ मे योनीनो अधिकार चाल्यो छे. योनी त्रण प्रकारनी छे. शीतयोनी, उष्णयोनी, शीतोष्णयोनी, हवे तेनो विस्तार कहे छे-पहेली नरकथी त्रीजी नरक सुधी शीतयोनीया, चोथी नरके शीतयोनीया घणा, अने उष्णयोनीया थोडा, पांचमी नरके उष्णयोनीया घणा अने शीतयोनीया थोडा, छठी नरके उष्णयोनीया,सातमीनरके महाउष्णयोनीया.अग्निवर्जीने चारस्थावर, त्रण विग्लेन्द्रिय, समुच्चय तिर्यच अने मनुष्यमांत्रण योनी पामे. तेउकायमां एक उष्णयोनी सान तिर्यच, संनि मनुष्य अने देवतामां योनी एक शीतोष्णनी.हवे तेनो अल्पवहुल कहे छे-सर्वथी थोडा शीतोष्णयोनीया, तेथी उष्णयोनीया असंख्यात गुणा, तेथी अयोनीया सिद्धभगवंत अनन्त गुणा. तेथी शीतयोनीया अनन्तगुणा.वळी योनी त्रण प्रकारे कही छे-सचेत, अचेत, ने मिश्र. नारकी अने देवतामां