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जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह १६३ नदीयो रमकवास क्षेत्रमा छे ए ४ नदीयो मुळे निकळतां पचीच पचीश जोजननी पहोळी छे अने २ गाउनी उंडी छे. छडे समुद्रमा भळतां अढिसो अडिसो जोजननी पहोळी छे, अने पांच पांच जोजननी उडी छे. एकेकि नदीनो परिवार छपन छपन हजार नदीयोनो जाणवो. एवं ४ थइने २ लाख ने २४ हजार नदीयो थइ. सिता, सीतोदा, ए २ नदीयो महाविदेह क्षेत्रमा छे. ते मूळे पचास पचास भोजननी पहोळी छे, चार चार गाउनी उंडी छे, छेडे समुद्रमांमळतां, पांचसा पांचसो जोजननी पहोलो छे, दश दश जोजननी उंडी छे. एकेकिनो पांच लाख ने बत्रिश हजारनो परिवार छे. एवं २ नो परिवार १० लाख ने ६४ हजार नदियोनो जाणवो.महा विदेह क्षेत्रनी १६विजयमां गंगा ने सिंधु बब्बे छे एटले १६ बत्रिश थइ अने १६ विजयमां रत्ता, ने रत्तवइ बे छे ते पण १६ दु ३२ थइ एवं महाविदेह क्षेत्रमा ६४ नदीयो छे, ६४ नुं पहोळपणुं भरतनी गंगानी परे जाणवू. ते एकेकिनो चौद चौद हजार नदीयोनो परिवार जाणवो. चोसठ ने १४ हजारे गुणतां ८ लाख ने ९६ हजार नदीयो थाय. अने देव कुरुनी ८४ हजार अने उत्तर कुरुनी ८४ हजार, एवं १ लाख ने ६८ हजार अने ८ लाख ने ९६ हजार मांहि भेळविए एटले १० लाख ने ६४ हजार थाय, एटलो परिवार सीता सीतोदानो जाणवो. अने शेष १२ नदीयोनो परिवार ३ लाख ने ९२ हजार एवं सर्व मळीने १४ लाख ५६ हजार नदीयो याय. अने ९० महोटी नदीयो जाणवी. हवे १२ अंतर नदीयो महाविदेह क्षेत्रमा छे ते ८ विजयनुं १ खांडवु ते मांहि ३ नदीयो, पूर्व महाविदेहने उत्तर ने खांडवे अने दक्षिणने खांडवे ३ ए ६. एमज पश्चिम महाविदेहने उत्तर खांडवे ३ अने दक्षिणने खांडवे ३ ।।