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________________ १६० खंडा जोयणना बोल. कोश उंचुं छे अनेक स्तंभा छ ओपाव्या सुवर्ण सरिखा सोभे छे ते जोवा योग्य छे. ते भुवनने ३ बारणा छे, पूर्वे, दक्षिणे, उत्तरे, ते बारणा ५०० धनुपना उंचा छे अढिसे धनुषना पहोळा छे ते भुवनमा एक मणि पिठिका छे ते ५०० धनुषनी लांबी ने पहोळी छे. २५० धनुषनी उंची छे, ते मणि पिठिका उपरे १ देवशय्या रहेबानो पलंग छे. हवे महापद्मद्रह, ने महापुंडरिकद्रह ए २ द्रह एकेको २ हजार जोजननो लांबो ने १ हजार जोजननो पहोलो छे अने १० जोजननो घरता मांहि उंडो छे. महापद्मद्रहमा हीदेवी रहे छे. महा पुंडरिक द्रहमां बुद्धि देवी रहे छे. एहना कमळ श्रीदेवीनि परे जाणवा पण कमळनुं मान बमणुं जाणवू ते मांहि महोटुं कमळ २ जोजन, लांबु ने पहोळ छे, अने १ जोजन जाईं छे. हवे तिगिछ दह ने केशरि द्रह ए २ द्रह एकेको ४ हजार जोजननो लांबो ने बे हजार जोजननो पहोलो छे. १० जोजननी धरती मांहि उंडो छे तिगिछ द्रहमां धृति देवी रहे छे, केशरि द्रहमा कात्र्ति देवी रहे छे, एहनु महोटुं कमळ ४ जोजननुं लांबु ने पहोछं छे, अने २ जोजनन जाडुछे.कमळ श्रीदेविनी परे जाणवा. एम साळेद्रहना १२०५०१२० कमळने १६गुणा करतां शाश्वता कमल १९२८०१९२० कमल थाय. अने ५ द्रह देवकुरुमां, ५ उत्तरकुरुमां ए १० द्रह धरती उपरे छे, तेहने नामे देवना नाम छे एक पल्यनुं आयुष छे, अने चुलहिमवंत पर्वत उपरे पनद्रह छ तिहां श्रीदेवीनो वास छ, शिखरी पर्वत उपरे पुंडरीक द्रह छे. तिहां लक्ष्मीदेवीनो वास छे.महाहिमवंत पर्वत उपरे महापद्मद्रह छ, तिहां हिदेवीनो वास छे. रुपि पर्वत उपरे महा पुंडरिकद्रहछे,तिहांबुद्धि देवीनो वासछे, निषढ पर्वत उपरे तिगिछद्रहछे, विहां धृतिदेवीनो बास छे. निलवंत पर्वत उपरे केशरि द्रह छे, विहां
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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