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जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. १५३ मेरुने विटि रघु छे. ४ सिद्धायतन छे. १६ वावडिओ छे, ४ महोल छे. तिहां थकी ३६ हजार जोजन मेरुने शिखरे जइये तिहां पंडग वन आवे ते ४९४ जोजन चक्रवाल विखंभपणे फरतो वाटलो वलयाने आकारे छे, मेरुनी चुलिकाने विटि रह्यं छे. पंडगवन ने विषे १ चुलिका छे ते ४० जोजननि उचि छे, १२ जोजननी मूळे पहोळी छे, अने ४ जोजननी मथाळे पहोळी छे, आठ जोजननी वचमां पहोळी छे, गायना पुंछने आकारे छे. सर्व वैरुलि रत्नमय छे. तेहने एक पद्मवर वेदिका छे उपर घणि समरमणिक भूमिका छे ते चुलिका उपरे १ सिद्धायतन छे ते १ कोशन लांबुं ने, अर्ध कोशवें पहोल्लु छे, अने देशेउणुं कोशनु उंचं छे. अनेक स्तंभा छे जाव धुपना कडछा छे. ते पंडग वनमा ४ सिद्धायतन छे. १६ वावडिओ छे ४ महोल छे ते पूर्वनि परे जाणवू. पंडग वनमा ४ अभिषेक शिला छे तेहना नाम पंडशिला, पंडुकंबलशिला, रक्त शिला, रक्त कंबल शिला. ए४ शिला कहि ते अर्द्ध चंद्रमाने आकारे छे. पूर्व पश्चिमनि शिला उत्तर दक्षिणे पांचसो पांचसो जोजननी लांबि छे, अने पूर्व पश्चिमे अढिसो अढिसो जोजननी पहोळी छे. उत्तर दक्षिणनी शिला ते पूर्व पश्चिमे पांचसो पांचसो जोजननी लांबि छे, अने उत्तर दक्षिणे अढिसो जोजननी पहोळी छे, ४ जोजननी जाडपणे छे. सर्व कनकमय छे. ए ४ ने ऋण दिशे पगथिया छे. पूर्व पश्चिमनी शिला उपर बबे सिंहासन छे अने उत्तर दक्षिणनी शिला उपरे अकेकुं सिंहासन छे, ते पांचसो पांचसो धनूषना लांबा ने पहोळा छे अने २५० धनुषना उंचा छे. तिहां तिर्थकर देवनो जन्म महोत्सव करे छे. जंबुद्विप मध्ये जघन्य २ तिर्थकरनो ने उत्० ४ तिर्थकरनो जन्म महोत्सव करे छे,