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________________ जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. ११९ सातमे आधार कहे छे.साते नरक श्याने आधारे रहिछे ? २० हजार जोजननोघनोदधि जाडपणे छे.असंख्याता जोजननो लांबपणे पहोलपणे छे. असंख्याता जोजननी परिधि छे. ते थीना घी सरिखो जाणवो. असंख्याता जोजननो घनवाय छे. ते विर्या घी सरिखो जाणवो. असंख्याताजोजननो तनुवाय छे. ते तपाव्या घी सरिखो जाणवो. तेहने आधारे ७ नर्क रहि छे. एकेकि नरके त्रण त्रण वळाका छे. असंख्याताजोजननो आकाशास्तिकाय छे. वीशहजार जोजननो घनोदधि जाडपणे छे. छेहडे जाता छ जोजननो रह्यो. पेहली नरके छ जोजननो घनोदपि. बिजी नरके छ जोजनने १ त्रिजोभाग. त्रिजी नरके छ जोजन ने २ त्रिजाभागे. चोथी नरके ७ जोजननो घनोदधि.पांचमी नरके ७ जोजन ने १ त्रिजोभाग.छठी नरके ७ जोजन ने २ विजाभाग. सातमी नरके ८ जोजननो घनोदधि. असंख्याताजोजननोधनवायछे. छेहडेजातां साडाचारजोजननो रह्यो. पहेलिनरकेसाडाचारजोजननोधनवायछे.बिजीनरके पोणापांचजोजननोधनवायछे. त्रिजी नरके ५ जोजननो धनवाय छे. चोथी नरके सवापांच जोजननो घनवाय छे. पांचमी नरके साडा पांच जोजननो धनवाय छे. छठी नरके पोणा छ जोजननो घनवाय छे. सातमी नरके ६ जोजननो घनवाय छे. असंख्याता जोजननो तनुवाय छे. छेहडे जाता दोढ जोजननो रह्यो.पहेलो नरके दोढ जोजननो तनुवाय. बिजी नरके दोढ जोजन ने १ बारियो भाग. त्रिजी नरके दोढ जोजन ने २ बारिया भाग. चोथी नरके दोढ जोजन ने ३ बारिया भाग. पांचमी नरके दोढ जोजन ने ४ बारिया भाग. छठी नरके दोढ जोजन ने ५ बारिया भाग. सातमी नरके २ जोजननो तनवाय छे. तेहने आधारे ७ नरकरहि छे. ७
SR No.022129
Book TitleJain Siddhant Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherAjramar Jain Vidyashala
Publication Year1928
Total Pages242
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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