________________
जैन सिद्धांत प्रकरण संग्रह. खरकांड छे.ते सोल जातिनारत्नमय छे.एकेकुंरत्नहजारहजार जोजननु जाडपणे छे.बळ्याकोयला शरिखा छे.तेमांहि ८० हजारजोजननो
उबल छे. अने ८४ हजारजोजननो पंकबलछे. एम प्रणे कांड थइने एकलाख ने एशीहजार जोजननो पृथ्वीनो पिंड जाणवो. __त्रीजे अर्थ कहे छे. रत्नप्रभा ते रत्ननो पिंड ने रत्ननी पिविका, ते रत्न केहवा छे ? श्यामवर्णा बल्याकोलसा सरिखां छे, शर्करमभा ते ? कांकरानो पिंड ने कांकरानी पिठिका. ते कांकरा केहवा छे? लुखा निरस गोखरुना कांटा सरिखो स्पर्श छे.वालुप्रभा ते? वेलुनो पिंड ने वेलुनी पिठिका.ते वेल केहवि छे ? उनिह धगधगती अनिपरे जाज्वल्यमान छे. पंकप्रभा ते कादवनो पिंड ने कादवनी पिठिका, ते कादव केहवा छे लोहिमय, परुमय, ने वज्रमय कांटा छे. धूमप्रभा ते धुमाडाना पिंड ने धूमाडानी पिठिका, ते धमाडो केहवो छ ? तिखो तमतमो ने दरदरो छे.तमप्रभा ते अंधकारनो पिंड ने अंधकारनी पिठिका, तमतमाप्रभा ते विशेषे अंधकारनोपिंड ने अंधकारनी पिठिका.
चोथो पिंडने पांचमो पोलार ए बे द्वार भेळा कहे छे. पहेली नरके एक लाख ने एशी हजार जोजननो पृथ्वीनो पिंड छे. तेहमांथि एकहजार जोजन उंचं मुकिये एक हजार जोजन निचुं मुकिये, वचे १ लाख ने अठोत्तेर हजार जोजननी पोलार छे.ते मांहि १३ पाथडा ने ३० लाख नरकावासा छे. बीजी नरके एक लाख ने बत्रिश हजार जोजननो पृथ्वीनो पिंड छे. तेहमांथि एक हजार जोजन उंचं मुकिये एक हजार जोजन निचुं मुकिये, वचे एक लाख ने ३० हजार जोजननी पोलार छे. तेमांहि ११ पाथडा ने २५ लाख नस्कावासा छे. त्रीजी नरके एक