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________________ म० । म० । (७) पू० सा० श्री महाभद्राश्रीजी (८) पू० सा० श्री कीर्त्तिसेनाश्रीजी (६) पू० सा० श्री महानन्दाश्रीजी (१०) पू० सा० श्री भव्यपूर्णाश्रीजी (११) पू० सा० श्री तत्त्वरुचि श्रीजी म० । शासनप्रभावक प्ररमपूज्य आचार्यवर्य श्रीमद्विजय मंगलप्रभसूरीश्वरजी म सा० की आज्ञानुवर्त्तिनी(१) ५० सा० श्री ज्ञानश्रीजी म० । (२) पू० सा० श्री गुणप्रभाश्रीजी म० । (३) पू० सा० श्री आनन्दश्रीजी म० । (४) पू० सा० श्री कुसुमप्रभाश्रीजी म० । (५) पू० सा० श्री किरणमालाश्रीजी म० । (६) पू० सा० श्री चन्द्रकलाश्रीजी म० । (७) पू० सा० श्री यशपूर्णाश्रीजी म० । (८) पू० सा० श्री जयप्रज्ञाश्रीजी म० । म० । म० । (६) पू० सा० श्री मुक्तिप्रियाश्रीजी म० । पूज्य साध्वी श्री सुशीलाश्रीजी म० की शिष्या (१) पू० सा० श्री भाग्यलताश्रीजी ५० । (२) पू० सा० श्री भव्यगुणाश्रीजी म० । (३) पू० सा० श्री दिव्यप्रज्ञाश्रीजी म० । (४) पू० सा० श्री शीलगुणाश्रीजी म० ।
SR No.022127
Book TitleKulak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1980
Total Pages290
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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