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________________ [२] चातुर्मास स्थित परमपूज्य श्राचार्य महाराजादि के शुभनाम (१) परमपूज्य आचार्यप्रवर श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म० सा । (२) परमपूज्य आचार्य श्रीमद्विजयविकासचन्द्रसूरीश्वरजी म० सा० । (३) परमपूज्य उपाध्याय श्रीविनोदविजयजीगणिवर्यम. सा०। (४) पूज्य मुनिराजश्री रत्नशेखरविजयजी म० सा० । (५) पूज्य मुनिराजश्री शालिभद्रविजयजी म. सा० । (६) पूज्य मुनिराजश्री जिनोत्तमविजयजी म. सा० । (७) पूज्य मुनिराजश्री अरिहंतविजयजी म. सा० । पू. साध्वीजी महाराज के शुभनाम परमपूज्य शासनसम्राट समुदाय की आज्ञानुवर्तिनी-- (१) पू० सा० श्री कान्तगुणाश्रीजी म० । (२) पू० सा. श्री धर्मिष्ठाश्रीजी म० । (३) पू० सा० श्री विचक्षणाश्रीजी म० । (४) पू० सा० श्री कल्पगुणाश्रीजी म० । (५) पू. सा. श्री चन्द्रपूर्णाश्रीजी म० । (६) पू. सा. श्री इन्द्रयशाश्रीजी म. ।
SR No.022127
Book TitleKulak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1980
Total Pages290
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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