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(२) नेमिचन्द्र भंडारीकृत " पार्श्वनाथ स्तोत्र' अहीं प्रथम वार प्रसिद्ध थाय छे.. गुजरात विद्यासभा (अमदावाद )ना हस्तलिखित पुस्तकसंग्रहमां एक प्राचीन जैन संग्रहपोथीनां ३६१ थी ३९४ सुधीमा पत्र छे, 'जेमा प्रकीर्ण संस्कृत-प्राकृत स्तोत्रादि लखेला छे. एमां पत्र ३७८-७९ उपर आ ' पार्श्वनाथ स्तोत्र' छे.
आ पोथीना पत्र ३९४ उपर ‘महावीर स्तुति 'नी नकल पूरी थाय छे तेने अंते नीचे प्रमाणे पुष्पिका छ
. श्रीमहावीरस्तुतिः । कृतिरियं श्रीदेवमूर्युपाध्यायानां संवत् १३८७ वर्षे कार्तिक शुदि १० सोमवारे....भसापुरे श्रीजिनप्रबोधसूरिशिष्येण आनन्दमूर्तिना लिखितं ॥
पार्श्वनाथ स्तोत्र' तो आनी पहेलां, पत्र ३७८-७९ उपर, लखायेलं छे, एट्रले एनी नकल पण .सं. १३८७ ना कारतक सुद १० पहेलां क्यारेक थयेली होवी जोईए.
त्रणे घालावबोधो तथा — जिनवल्लभसूरि ‘गुरुगुणवर्णन 'मांना नोंधपात्र शब्दोनो कोश पुस्तकने अंते उमेर्यों छे. वडोदरा विश्वविद्यालयना गुजराती विभागना श्री. इन्द्रवदन अंबालाल दवे, एम. ए. एमणे शब्दकोश तैयार करवामां केटलीक सहाय करी हती :ए वस्तुनी अहीं साभार नोंध लेवामां आवे छे.
अनुलेख प्रस्तावनानां पृ. २०-२२नां बीबां गोठवाई गया पछी, ऊंझाना महाजनना हस्तलिखित पुस्तकभंडारमांथी, पू. मुनिश्री पुण्यविजयजीना सौजन्यथी 'विदग्धमुखमंडन' ना मेरुसुन्दर उपाध्यायकृत बालावबोधनी सं. १६७२ मां नकल थयेली एक संपूर्ण प्रति मळी छे. जोधपुरवाळी