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त्रण बालावबोध सहित
कीधीइ अणकीधी, जेह भणी सम्यक्त्वगुण न ऊपजावइ । मिथ्यात्त्वसहितपणातउ जिहां जिहां मिथ्यात्त्व तिहां तिहां सम्यक्त्व नहीं, जिम संगमादेवमाहे । अनइ जिहां जिहां सम्यक्त्व तिहां तिहां मिथ्यात्वं नही, जिम श्रेणिकमहाराजमाहे । तिणि कारणि मिथ्यात्व मेल्ही जिनपूजा करिवी, जिम सम्यक्त्वगुण ऊपजावइ ॥९०॥ ...
[मे.] तीर्थंकरनी पूजा सम्यक्त्वना गुणनइ कारणि भणी । वली तेहइजि पूजा जिनसमय-अनुपदिष्ट अदेशित अविधि कीधी मिथ्यात्वनइ कारणि हुइ ॥९०॥
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[सो.] परमेश्वरनी आज्ञाइ जि तत्त्व । ए वात कहइ छइ ।
[जि.] अथ जिनतत्त्वनउ जाणणहारनी वात कहइ। 10 जं जं जिणआणाए तं चिय मन्नईन मन्नए सेसं। जाणई लोअपवाहे न हु तत्तं सोय तत्तविज ॥ ९१॥
[सो.] जं जं जिण. जे उत्तम, जे जे बोल वीतरागनी आज्ञाइं करी सहित हुई तेह जि मानई । न मन्नए० थाकतउं बीजउं कांई न मानइ । जाणइ लोअ० इसिउं जाणइ, 'लोकप्रवाहमाहि15 काई नथी ।' यतो लोकेऽप्युक्त
गतानुगतिको लोको न लोकः पारमार्थिकः ।
पश्य ब्राह्मणमूर्खेण हारितं ताम्रभाजनम् ॥ एहनु अर्थ । एक मूर्ख ब्राह्मण नदीइं पुण्यहेतु स्नान करिवा लागउ ।
१ जि. मन्नेइ. २ गाथानो आ उत्तरार्ध जि. मां नथी. लहियानी भूलथी पड़ी गयेलो छे. ३ 'एहनु अर्थ 'थी मांडी — ढिग कीधा' सुधीनो पाठ बीजी प्रतमां नीचे प्रमाणे प्रकारान्तरे छे—एक मूर्ख ब्राह्मण नदीहइ गुणहेतु स्नान करिवा गिउ । त्रिभाणउं धूलिनउ ढग अहिनाण करी नदीनइ तटि सातिउं । नदीमाहि स्नान करिका