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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जे य से अहमाह से णं महापावकम्मे सव्वाओ इत्थीओ वाया मणसा य कंभुणा तिविहंतिविहेणं अणुसमयमभिलसेज्जा तहा अच्चंतकूरझवसायअवसिएहिं चित्तेहिं सारंभपरिग्गहासत्ते कालं गमेजा, एएसिं दोण्हंपिणं गोयमा! अणंतसंसारियतणं यो१५। भ्यवं! जे णं से अहमे जेवि णं से अहमाहमे पुरिसे तेसिं च दोण्हंपि अणंतसंसारियतणं समक्खायं तो णं एगे अहमे एगे अहमाहमे एतेसिं दोण्हंपि पुरिसावत्थाणं के पइविसेसे?, गोयमा! जे णं से अहमपुरिसे से णं जइवि उ सपरदारासत्तमाणसे कूरझवसायझवसिएहिं चित्तेहिं सारंभपरिग्गहासत्तचित्ते तहाविणं दिविख्याहिं साहणीहि अन्त्यरासुं(हिं)च सीलसंरक्खणपोसहोववासनियाहिं दुक्खियाहिं गारत्थीहिं वा सद्धिं आवडियपिलियामंतिएवि सभाणे णो य चियभसमायोज्जा, जे य णं से अहमाहमे पुरिसे से णं नियजणणिपभिई जाव णं दिक्खियाहिं साहुणीहिंपि समं चियमंसं समायरिजा, तेणं चेव से महापावकम्मे सव्वाहमाहमे समक्खाए, से णं गोयमा! पइविसेसे, तहा य जे णं से अहमपुरिसे से णं अणतेणं कालेणं बोहिं पावेज्जा, जे य उण से अहमाहमे महापावकारी दिक्खियाहिंपि साहुणीहिंपि समं चियमंसं समायरिज्जा से णं अणंतहत्तोवि अणंतसंसारमाहिंडिऊणंपि बोहिं नो पावेजा, एस णं गोयमा! बितिए पइविसेसे।१६। तत् णं जे से सव्वुत्तमे से णं छउत्थवीयरागे णेये, जे णं तु से उत्तमुत्तमे से णं अणिड्ढिपत्तपभितीए जाव णं उत्समगे वा खवर वा ताव णं निओयणीए, जे णं च से उत्तमे से णं अप्पमत्तसंजए ए, एवमेएसिं निरूवणा कुना १७१ जे उण मिच्छट्ठिी भविऊणं ॥ श्री महानिशीथसूत्रपा | ३४ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021041
Book TitleAgam 39 Chhed 06 Mahanishith Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages239
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_mahanishith
File Size15 MB
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