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| किलिस्सइ इह परभवे य ॥ ६ ॥ हुंति अजुत्तस्स विणासगाणि पंचिंदियाणि पुरिसस्स । उरगा इव उग्गविसा गहिया मंतोसहीहिं विणा ॥ ७॥ आसवदारेहिं सया हिंसाईएहिं कम्ममासवइ । जह नावाइ विणासो छिदेहिं जलं उयहिभज्झे ॥ ८ ॥ कम्मासवदाराहं निरूंभियव्वाइं इंदियाई च। हंतव्वा य कसाया तिविहंतिविहेण मुक्खत्थं ॥ ९ ॥ निग्गहियकसाएहिं आसवा मूलओ हया हुंति। अहियाहारे मुक्के रोगा |इव आउर जणस्स ॥ ६२० ॥ नाणेण य जाणेण य तवोबलेण य बला निरूंभंति। इंदियविसयकसाया धरिया तुरगा व रज्जूहिं ॥ १॥ हुंति गुणकारगाई सुयरज्जूहिं धणियं नियमियाई । नियगाणि इंदियाई जइणो तुरगा इव सुदंता ॥ २॥ मणवयणकायजोगा जे भणिया करणसण्णिया तिण्णि। ते जुत्तस्स गुणकरा हुंति अजुत्तस्स दोसकरा ॥ ३ ॥ जो सम्मं भूयाई पासइ भूए अ अप्पभूए यो कम्ममलेण न लिप्पइ सो संवरियासवदुवारों ॥ ४॥ धण्णा सत्तहियाई सुणंति घण्णा करंति सुणियाई । घण्णा सग्गइमग्गं मरंति घण्णा गया सिद्धिं ॥ ५ ॥ धण्णा कलत्तनियलेहिं विष्यमुक्को सुसत्तसंजुत्ता। वारीओव गयवरा घरवारीओवि निम्फिडिया ॥ ६ ॥ घण्णा ( 3 ) करंति तवं संजम जोगेहिं कम्ममट्टविहं । तवसलिलेणं मुणिणो धुणंति पोराणयं कम्मं ॥ ७॥ नाणमयवायसहिओ सीलुज्जलिओ तवो मओ अग्गी । संसारकरणबीयं दह दवग्गीव तणरासिं ॥ ८ ॥ इणमो सुगइगइपहो सुदेसिओ उक्खिओ य जिणवरेहिं । ते धन्ना जे एवं पहमणवज्जं पवज्जंति॥ ९ ॥ जाहे य पावियव्वं इह परलोए य होइ कल्लाणी ता एवं जिणकहियं पडिवज्जइ भावओ धम्मं ॥ ६३० ॥ जह जह दोसोवरमो जह जह विसएस होइ वेरग्गं । तह तह विजाणयाहि आसन्नं से पयं परमं ॥ १ ॥ दुग्गो भवकंतारे भममाणेहिं सुचिरं पू. सागरजी म. संशोधित
॥ श्री मरणसमाधि सूत्रं ॥
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