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मनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १३५ त्रिनामनिरूपणम् पोध्यम्। त्रैविध्यमेवाह-तद्यथा-द्रव्यनाम-द्रवति गच्छति तास्तान पर्यायान माप्नोतीति द्रव्यं, तस्य नाम-द्रव्यनाम । गुगनाम-गुण्यन्ते संख्यायन्ते इति गुणास्तेषां नाम-गुणनाम। तथा-वर्णनाम-वर्ण्यते-अलक्रियते वस्त्वनेनेति वर्णः, तस्य नाम वर्णनाम । एषु त्रिविधेषु नामसु प्रथमं द्रव्यनाम जिज्ञासमानः शिष्यः पूच्छति-अथ किं तद् द्रव्यनाम ? उत्तरयति-द्रव्यनाम हि धर्मास्तिकायादिभेदैः विधम् । धर्मास्तिकायादीनां व्याख्या पूर्व कृता । गुणनामतु वर्णगन्धरसस्पर्श
शब्दार्थ-- (से किं तं तिनामे ?) हे भदन्त ! त्रिनाम क्या है ? . उत्तर-- (तिनामे तिविहे पण्णत्ते) त्रिनाम तीन प्रकार का कहा गया हैतीन रूप वाला जो नाम है वह त्रिनाम है ! त्रिनाम से ही यह त्रिविध है। (तं जहा) वे तीन प्रकार ये हैं-- (दव्वणामे, गुणनामे,पज्जवणामे) द्रव्यनाम, गुणनाम, पर्यव नाम । उन २ पर्यायों को जो प्राप्त करता है उसका नाम द्रव्य है । इस द्रव्य का जो नाम है वह द्रव्यनाम है। जो गिने जावें उनका नाम गुण है यह गुण शब्द की व्युत्पत्ति है। इनका जो नाम है वह गुण नाम हैं। पर्याय का जो नाम है वह पर्याय नाम है। पर्याय नाम का वर्णन सूत्रकार १४७ वें सूत्र में करेंगे। (सेकिं तं दव्वनामे) वह द्रव्य नाम क्या है ?
उत्तर-- (दवणामे छविहे पण्णसे) द्रव्य नाम ६ प्रकार का कहा है । (तं जहा) जैसे--(धम्मत्थिकाए, अधम्नथिकाए, आगासत्यिकाए
शहाथ-(से कि त तिनामे ?) 3 मापन् ! त्रिनाम भेटले शु१
उत्तर-(तिनामे तिविहे पण्णत्ते) विनामना ३ २ ४ा छ. ३१ ३५વાળું જે નામ છે, તેને વિનામ કહે છે ત્રિનામ હોવાને લીધે જ તે ત્રણ मारनु छे. (तजहा) ते १५ मारे। नीय प्रमाणे छ-(दव्वणामे, गुणनामे, पज्जवणामे) (१) द्र०यनाम, (२) गुरुनाम भने (3) ५ यनाम (पर्यायनाम.)
જુદી જુદી પર્યાને જે પ્રાપ્ત કરે છે, તેનું નામ દ્રવ્ય છે. આ દ્રવ્યનું જે નામ છે તેને દ્રવ્ય નામ કહે છે. ગુણ શબ્દની વ્યુત્પત્તિ આ પ્રમાણે છે. "२ गाय ते शुष छे." ते गुरतुं नाम तेने मुनाम. ४ . પર્યાયનું જે નામ છે, તેનું નામ પદનામ છે. આગળ ૧૪માં સત્રમાં સૂત્રકાર આ પર્યાયનામનું વર્ણન કરવાના છે. ____प्रश्न-(से कि त दव्वनामे?) ते द्र०यनाम शु छ ?
उत्तर-(दुव्वणामे छव्विहे पण्णत्ते) द्रव्यनाम छ प्रा२नुं छे. (तजहा) २.....(धम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकाए, आगासत्थिकाए, जीवस्थिकाए, पुग्गलत्यि
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