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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १४६ त्रिनामनिरूपणम् त्रिनाम निरूपयितुमाह मूलम्-से किं तं तिनामे ? तिनामे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा दवणामे गुणणामे पज्जवणामे य। से किं दवणामे ? दवणामे छविहे-पण्णत्ते, तं जहा-धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगा. सत्थिकाए जीवस्थिकाए पुग्गलत्थिकाए अद्धासमए य। से तं दवनामे। से किं तं गुणनामे ? गुणनामे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-वण्णणामे गंधणामे रसणामे फासणामे संठाणणामे । से कि तं वण्णणाम? वण्णणामे पञ्चविहे पण्णत्ते, तं जहा-कालवण्णणामे नीलवण्णणामे लोहियवण्णनामे हालिदवपणनामे सुकिल्लवण्णनामे । सेत्तं वपणनामे। से किं तं गंधनामे-गंध. नामे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सुरभिगंधनामे य दुरभिगंधनामे य। से तं गंधनामे। से किं तं रसनामे? रसनामे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-तित्तरसणामे कडुयरसणामे कसायरसणामे अंबिलरसणामे महुररसणामे य। से तं रसणामे। से किं तं गर्भ जन्म से होती है वे गर्भव्युत्क्रान्ति जीव हैं। जो सरकते है। परिसर्प हैं । उर परिसर्प और भुजपरिसर्प के भेद से परिसर्प जीव दो प्रकार के हैं ! सादिक जीव जो कि छाती से सरकते हैं-उरः परिसर्प हैं । और गोधा, नकुल आदि जीव जो भुजाओं से सरकते-चलते हैं वे भुजपरिसर्प हैं । इस प्रकार यह द्विनाम हैं ॥सू०१४६॥ તે જીવને ગર્ભથ્થુક્રાતિક જીવે કહે છે, જે જીવે સરકતાં સરકતાં ચાટે છે તે જેને પરિસર્પ કહે છેપરિસર્ષ ના ઉર પરિસર્ષ અને ભુજપરિસર્પ નામના બે ભેદ પડે છે. સર્પાદિક જે છ છાતીને બળથી સરકે તે જેને ઉર પરિસર્પ કહે છે. ગળી, નેળિયા આદિ છ ભુજા એના બળથી સરકે (ચાલે છે, તેથી તેમને ભુજ પરિસપ કહે છે. આ પ્રકારનું આ કિનામનું સવરૂપ છે. સૂ૦૧૪પ For Private and Personal Use Only
SR No.020966
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages864
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size25 MB
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