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श्री व्यवहार
सूत्रम्
दशम
उद्देशकः
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छट्ठीए से कप्पइ सत्त दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तर, सत्त पाणस्स । सत्तमीए से कप्पइ अट्ठ दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, अट्ठ पाणस्स । अट्ठमीए से कप्पड़ नव दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, नव पाणस्स । नवमी से कप्पइ दस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, दस पाणस्स । दसमीए से कप्पइ एगारस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, एगारस पाणस्स । एगारसमीए से कप्पइ बारस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, बारस पाणस्स । बारसमीए से कप्पड़ तेरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, तेरस पाणस्स । तेरसमीए से कप्पइ चउद्दस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, चउद्दस पाणस्स | 20 चउद्दसमीए से कप्पइ पन्नरस दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, पन्नरस पाणस्स । पुण्णमा से य अभत्तट्ठे भवइ ।
एवं खलु एसा वइरमज्झा चंदपडिमा अहासुत्तं जाव आणाए अणुपलिया भवइ
॥२॥
१. पालित्ता श्यु. ॥
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सूत्र २ गाथा |३८१०-३८१२
द्वे
चन्द्रप्रतिमे
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