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श्री
व्यवहारसूत्रम् नवम
उद्देशकः १४४७ (A)
उवजीवइ, तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहित्तए ॥१२ ।।
सागारियनायए सिया, सागारियस्स अभिनिव्वगडाए एगदुवारए एगनिक्खमण-पवेसाए | अंतो एगपयाए सागारियं च उवजीवति, तम्हा दावए, नो से कप्पति पडिगाहित्तए॥१३॥ |*
सागारियनायए सिया सागारियस्स अभिनिव्वगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए अंतो अभिनिपयाए सागारियं च उवजीवति, तम्हा दावए, नो से कप्पति पडिगाहित्तए ॥ १४ ॥
सूत्र ९-१६ सागारियनायए सिया सागारियस्स अभिनिव्वगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमण
गाथा पवेसाए बाहिं एगपयाए सागारियं च उवजीवति, तम्हा दावए, नो से कप्पति ३६९४-३६९७
शय्यातरोपपडिगाहित्तए॥१५॥
जीविनः सागारियनायए सिया, सागारियस्स अभिनिव्वगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमण- 3
| पिण्डनिषेधः पवेसाए बाहिं अभिनिपयाए सागारियं च उवजीवति तम्हा दावए नो से कप्पति १४४७ (A) पडिगाहित्तए इति ॥ १६ ॥
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