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व्यवहार
सूत्रम् |
उवगरणजाए परिब्भटे सिया । तं च कोई साहम्मिए पासेज्जा, कप्पइ से सागारकडं गहाय श्री || जत्थेव अण्णमण्णं पासेज्जा तत्थेव एवं वएज्जा- "इमे भे अज्जा! किं परिणाए?"
स य वएज्जा- "परिणाए" तस्सेव पडिणिज्जाएयव्वे सिया। अष्टम
से य वएज्जा- "नो परिण्णाए" तं नो अप्पणा परिभुंजेज्जा नो अण्णमण्णस्स उद्देशकः
दावए, एगंते बहुफासुए थंडिले परिट्ठवेयब्वे सिया ॥ १३॥ १३८५ (B)|
निग्गंथस्स णं बहिया विचारभूमिं वा, विहारभूमिं वा निक्खंतस्स अहालहुसए उवगरणजाए परिब्भट्टे सिया। __ तं च केइ साहम्मिए पासेज्जा, कप्पड़ से सागारकडं गहाय जत्थेव अण्णमण्णं | पासेज्जा, तत्थेव एवं वएज्जा- "इमे भे अज्जा! परिणाए?" से य वएज्जा"परिणाए" तस्सेव पडिणिज्जाएयव्वे सिया।
से य वएजा- "नो परिणाए" तं नो अप्पण्णा परिभुजेज्जा, नो अण्णमण्णस्स दावए, एगंते बहुफासुए थंडिले परिट्ठवेयव्वे सिया ॥ १४॥
सूत्र १३-१४
गाथा ३५११-३५१५
परिभ्रष्टोपकरणेविधिः
१३८५ (B)
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