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व्यवहार
सूत्रम्
चतुर्थ
उद्देश :
९५९ (B)
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बहवे आयरिय-उवज्झाया एगयओ विहरंति, नो पहं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए ॥ ३१ ॥
बहवे भिक्खुणो, बहवे गणावच्छेइया, बहवे आयरिय-उवज्झाया एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए त्तिबेमि ॥ ३२ ॥
"दो भिक्खुणो एगतो विहरंति" इत्यादिसूत्रसप्तकम् । अस्य सम्बन्धमाहसंहिगारा तुलाधिगारिया एस लेसतो जोगो ।
आयरियस व सिस्सो, भिक्खु अभिक्खू अह तु भिक्खू ॥ २१७१ ॥
अनन्तरसूत्रे 'दो साहम्मिया' इत्यादिलक्षणे द्विकलक्षणा सङ्ख्याधिकृता, अत्रापि सैव, 'दो भिक्खुणो' इत्यादि वचनात् । ततः सङ्ख्याधिकारात्तुल्याधिकारिता पूर्वसूत्रेण सहास्य सूत्रस्येत्येष लेशतः आद्यसूत्रस्य योगः सम्बन्धः । अथवा पूर्वसूत्रे रत्नाधिकपदेनाचार्य उपात्तः ।
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सूत्र २६-३२ गाथा | २१६८-२१७१ यथारत्नाधिकपार्श्वे
उपसम्पदा
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