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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्यवहार सूत्रम् चतुर्थ उद्देश : ९५९ (B) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बहवे आयरिय-उवज्झाया एगयओ विहरंति, नो पहं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए ॥ ३१ ॥ बहवे भिक्खुणो, बहवे गणावच्छेइया, बहवे आयरिय-उवज्झाया एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, कप्पड़ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए त्तिबेमि ॥ ३२ ॥ "दो भिक्खुणो एगतो विहरंति" इत्यादिसूत्रसप्तकम् । अस्य सम्बन्धमाहसंहिगारा तुलाधिगारिया एस लेसतो जोगो । आयरियस व सिस्सो, भिक्खु अभिक्खू अह तु भिक्खू ॥ २१७१ ॥ अनन्तरसूत्रे 'दो साहम्मिया' इत्यादिलक्षणे द्विकलक्षणा सङ्ख्याधिकृता, अत्रापि सैव, 'दो भिक्खुणो' इत्यादि वचनात् । ततः सङ्ख्याधिकारात्तुल्याधिकारिता पूर्वसूत्रेण सहास्य सूत्रस्येत्येष लेशतः आद्यसूत्रस्य योगः सम्बन्धः । अथवा पूर्वसूत्रे रत्नाधिकपदेनाचार्य उपात्तः । For Private and Personal Use Only सूत्र २६-३२ गाथा | २१६८-२१७१ यथारत्नाधिकपार्श्वे उपसम्पदा ९५९ (B)
SR No.020936
Book TitleVyavahar Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMunichandrasuri
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2010
Total Pages540
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vyavahara
File Size15 MB
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