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श्री
व्यवहार
सूत्रम्
चतुर्थ उद्देशकः
९५९ (A)
___ सूत्रम्- दो भिक्खुणो एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं | विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए ॥ २६ ॥ ___ दो गणावच्छेइया एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं | विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ॥ २७ ॥
दो आयरिय-उवज्झाया एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए ॥ २८ ॥
बहवे भिक्खुणो एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ॥ २९ ॥ ___ बहवे गणावेच्छेइया एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अनमनं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ॥ ३० ॥
सूत्र २६-३२
गाथा २१६८-२१७१
यथारनाधिकपार्श्वे उपसम्पदा
९५९ (A)
१. "एवं आयरिय उवज्झाया, एवं बहवे साहम्मिया, गणावच्छेइया, आयरिय-उवज्झाया जाव विहरित्तए"। इति प्रतिलिपि मध्ये सूत्र २८, ३२ स्थाने पाठ।।
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