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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री व्यवहार सूत्रम् चतुर्थ उद्देशकः ९५९ (A) ___ सूत्रम्- दो भिक्खुणो एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं | विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए ॥ २६ ॥ ___ दो गणावच्छेइया एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं | विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ॥ २७ ॥ दो आयरिय-उवज्झाया एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए ॥ २८ ॥ बहवे भिक्खुणो एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अन्नमन्नं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ॥ २९ ॥ ___ बहवे गणावेच्छेइया एगयओ विहरंति, नो ण्हं कप्पइ अन्नमन्नं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, कप्पइ ण्हं अहाराइणियाए अनमनं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए ॥ ३० ॥ सूत्र २६-३२ गाथा २१६८-२१७१ यथारनाधिकपार्श्वे उपसम्पदा ९५९ (A) १. "एवं आयरिय उवज्झाया, एवं बहवे साहम्मिया, गणावच्छेइया, आयरिय-उवज्झाया जाव विहरित्तए"। इति प्रतिलिपि मध्ये सूत्र २८, ३२ स्थाने पाठ।। For Private and Personal Use Only
SR No.020936
Book TitleVyavahar Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMunichandrasuri
PublisherOmkarsuri Gyanmandir Surat
Publication Year2010
Total Pages540
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vyavahara
File Size15 MB
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