________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyarmandie ११शतके मिथ्यादृष्टि , अथवा अनेक जीवो मिथ्यादृष्टिओ छे, [प्र.] हे भगवन् ! ते (उत्पलना) जीवो शुं ज्ञानी छे के अज्ञानी छे ? [उ०] हे गौतम! ते ज्ञानी नथी, पण एक अबानी छे, अथवा अनेक अज्ञानीओ छे. [प्र०) हे भगवन् ! झुं ते (उत्पलना) जीवो मनयोगी वचनव्याख्या योगी के काययोगी छे[उ०] हे गौतम ! तेओ मनयोगी नथी, वचनयोगी नथी, पण एक काययोगीछे अथवा अनेक काययोगिओ छे. प्रचप्तिः ते गं भते / जीवा किं सागारोव उत्ता अणागारोवउत्ता ?, गोयमा! मागारोवउत्त वा अणागारोव उत्तवा उद्देशन // 930 // 13 अट्ठ भंगा 13 / तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरमा कतिवन्ना कतिगंधा कतिरमा कतिफासा पन्नत्ता?, गोयमा! // 930 पंचवन्ना पंचरसा दुगंधा अट्ठफामा पन्नत्ता, ते पुण अप्पणा अवन्ना अगंधा अरमा अफासा पन्नत्ता 14-15 // | ते णं मंते! जीवा किं उस्सासा निस्सामा नो उस्सासनिसासा, गोयमा! उस्सासए बा१निस्सासए वा 2 नो* उस्मासनिस्मासए वा 3 उस्सासगा बा 4 निस्सासगा बा 5 नो उस्सासनीसासगा वा 6, अहया उस्सासए य ४ानिस्मासा य 4 अहवा उस्मासए य नो उस्सासनिस्सासए य४ अहवा निस्सासा यनो उस्सासनीसासग य४, * अहवा ऊसासए य नीसासए यनो उस्सासनिस्सासए य अट्ट भंगा ८एए छब्बीस भंगा भवंति 26 // [प्र०] हे भगवन् ! शु ते (उत्पलना) जीवो साकार उपयोगबाळा के के अनाकार उपयोगवाळा छे! [10] हे गौतम / एक दाजीव माकार उपयोगबाळो छ, अथवा एक जीच अनाकारउपयोगवाळो छ-इत्यादि पूर्व प्रमाणे (पू. 8) आठ भांगा कहेवा. [प्र०] हे भगवन ! ते (उत्पलना) जीवोना शरीरो केटला वर्णचाळां, केटलाधवाळां, केटला रसपाळा अने केटला स्पर्शवाला कयां छे।। 151(उ.] हे गौतम! पांच वर्णवाळां, पांच रसवाळां, वे गंधवाळा अने आठ स्पर्शवाळां कयां छे. अने जीवो पोते वर्ण. गंध, रस अने For Private and Personal Use Only