________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandie C |के अनुदीरक छ / [उ०) हे गौतम ! तेओ अनुदीरक नथी, पण एक जीव उदीरक छे, अथवा अनेक जीवो उदीरक छ. 5 प्रमाणे 13 यावद अंतरायकर्म सुधी जाणवू परन्तु विशेष ए के के वेदनीयकर्म अने अयुषकर्ममा पूर्ववत् (सू०८) आठ भांगा कहेवा. ११शतके प्राप्ति 5 ते भंते ! जीवा किं कण्हलेसा नीललेसा काउलेसा तेउलेमा, गोयमा! कण्हलेसे वा जाव तेउलेसे|४| उरेशान // 919 // वा कण्हलेस्सा वा नीललेस्सा वा काउलेस्मा वा तेउलेमा वा अहवा कण्हलेसे य नीललेस्से य एवं एए दुयासं-18| // 9 // | जोगतियासजोगचउकर्मजागेण असीती भंगा भवंति 9 // ते णं भंते! जीवा किं सम्मट्टिी मिच्छा-11 दिट्ठी सम्मामिच्छादिड्डी, गोयमा! नो सम्मदिट्टी नो सम्मामिच्छादिट्ठी मिच्छादिट्टी वा मिच्छादिहिणो वा | 10 / ते णं भंते ! जीवा किं नाणी अनाणी, गोयमा! नो नाणी अण्णाणी वा अनाणिणो वा 11 / तेणं भंते ! जीवा किं मणजोगी चयजोगी कायजोगी, गोयमा! नो मणजोगी णो वयजोगी कायजोगी वा काय| जोगिणो दा 12 / [प्र.] हे भगवन् ! शं ते (उत्पलना) जीवो कृष्णलेश्याचाळा, नीललेश्यावाळा, कापोतलेश्यावाला के तेजोलेश्यावाळा होया [[उ.] हे गौतम! एक जीव कृष्णलेश्यावाळो, यावत् एक तेजोलेश्यावाळो होय, अथवा अनेक जीवो कृष्णलेश्यावाला, नीललेश्ण81 बाळा, कापोतलेश्यावाळा अने तेजोलण्याचाळा होय, अथवा एक कृष्णलेश्यावाळो अने एक नीललेश्यावालो होय. ए प्रमाणे द्विक| संयोग, त्रिकसंयोग अने चतुष्कसंयोग बड़े सर्व मळीने एंशी भांगा कहेवा. [म०] हे भगवन् ! शुं ते (उत्पलना) जीवो सम्यगृष्टि से, मिथ्यारष्टि छ, के सम्यगूमिध्यादृष्टि 21 [] हे गौतम! तेश्रो सम्यग्दृष्टि नथी, सम्यग्मिथ्यारष्टि नथी, पण एक जीव | 94 % For Private and Personal Use Only