________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandie शतक 11. (उद्देशक 1.) ११शतके व्याख्या प्रजाप्तिः 915 // RECAUSE उप्पल 1 साल 2 पलासे 3 कुंभी 4 नाली य 5 परम कन्नी ७य / नलिण 8 सिव 5 लोग 10 काला 115-16 उशार भिय 12 दस दो य एक्कारे॥६६॥ उववाओ१ परिमाणं 2 अवहारु 3 चत्त 4 बंध 5 वेदे 6 य | उदए 7 उदी- 1925 // रणाए८ लेसा९ विट्ठी १०य नाणे 1 य॥६७। जोगु 12 वओगे 13 वन्न 14 रसमाई 15 ऊसासगे 16 य आहारे / 17 / विरई 18 किरिया 19 बंधे 20 सन्न 21 कसायि 22 स्थि 23 बंधे 24 य // 68 // सन्निं 25 दिय 26 अणुबंधे 37 संवेहा 28 हार 29 ठिह 30 मनुग्धाए 31 / चयणं 32 मूलादीसु य उवयाओ३ सध्वजीवाणं // 19 // (उद्देश संग्रह) उत्पल, 2 शालूक, 3 पलाश, कुंमी 5 नाडीक, 6 पद्म, 7 कार्णिका, 8 नलिन, 9 शिवराजर्षि, 10 लोक, 11 काल. अने 12 आलभिक-ए संवन्धे अग्यारमा शतकमां बार उद्देशको छे. (उत्पल)-अमुक जातना कमल संबन्धे प्रथम उद्देशक, शालूक-उत्पलकन्द-संबन्धे बीजो उद्देशक, पाश-खाखरा-ना वृक्ष संबन्धे त्रीजो उद्देशक, कुंभीवनस्पति संबन्धे चोथो उद्देशक, नाडीक वनस्पति संबन्धे पांचमो उद्देशक, पद्म-अमुक जातना कमल-विषे छहो उद्देशक, कर्णिका संबन्धे सातमो उद्देशक, नलिन-अमुक प्रकारना कमल संबंधे आठमो उद्देशक, शिवराजर्षि संबन्धे नवमो उद्देशक, लोकने विषे दशमो उद्देशक, काल संबन्धे अगीआरमो उद्देशक, अने आलभिक-आलमिकानगरीमां करेला प्रश्न-संबंधे बारमो उद्देशक-ए प्रमाणे अगीयारमा शतकमां चार उदेशको के.) For Private and Personal Use Only