________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir प्राशि // 913 // |१०शतके उरेशा५ 1913 // *- SANSAR महाराजाने केटली पट्टराणीओ कहीछे ? [उ.] हे आर्यों ! पूर्व प्रमाणे जाणवू. विशेष ए के के ( यम लोकपालने ) यमा नामे राजधानी के. बाकी बधुं मोमनी पेठे जाणवू. तथा ए प्रमाणे वरुणना संबन्धे पण जाणवं, परन्तु तेने वरुणा राजधानी हे. ते प्रमाणे वैश्रमणने पण जाणवू. परन्तु तेने वैश्रमणा राजधानी छे. बाकी सर्व पूर्व प्रमाणे जाणवू, यावत् 'तेओ मैथुननिमित्ते भोग | भोगववा समर्थ नथी.' | बलिस्स ण भंते ! वहरोयर्णिदस्स पुच्छा, अजो! पंच 2 अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-सुभा निसुभा रंभा निरंभा मदणा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्ठट्ठ सेसं जहा चमररस, नवरं बलिचचाए रायहाणीए, परियारो जहा मोउद्देमए, सेसं तं चेव, जाव मेहुणवत्तियं / वलिस्स णं भंते ! बहरोयणिदस्स वइरोयणरन्नो सोमस्स महारनो कति अग्गहिसीओ पन्नत्ताओ? अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-मीणगा सुभद्दा विजया | | असणी, तत्थ णं एगमेगा सेसं जहा देवीए चमरसोमस्स, एवं जाव वैसमणस्स | धरणस्स णं भंते ! नागकुमा | रिदस्म नागकुमाररन्नो कति अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ?, अजो! छ अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ, तंजहा-इला | सुक्का सदारा सोदामणी इंदा घणविज्जुया,तस्थ णं एगमेगाए देवीए छ छ देविसहस्सा परिवारो पन्नत्तो, पभू ण भंते! ताओ एगमेगाए देवीए अन्नाई छ छ देविसहस्साई परियारं विउवित्तए एवामेव मपुव्वावरेणं छत्तीस देविसहस्साई, सेत्तं तुडिए, पभू ण भंते ! धरणे सेसं तं चेव, नवरं धरणाए रायहाणीए धरणंसि सीहासणंसि |सओ परियाओ सेस तं चेव / STROCIAS For Private and Personal use only