________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir कास्थविहारी (पासस्थानी चर्याबाळा) अवसब, अवसनविहारी, कुशील, कुशीलविहारी, यथाछंद, अने यथाछंदविहारी थईने तेओ घणा2 हवरमसुधी श्रमणोपासकना पर्यायने पाळे छे, पाळीने अर्धमासिक संखेलनावडे आत्माने सेवीने त्रीश भक्तोने अनशनपणे व्यतीत व्याख्या करीने ते प्रमादस्थान- आलोचन अने प्रतिक्रमण कर्या विना काल समये काल करी तेओ असुरेंद्र, असुरकुमार राजा चमरना त्रायः प्राप्तिः स्विंशकदेवपणे उत्पन्न वया. | उद्देशान // 90 // जपभिई च णं भंते ! कायंदगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा चमरस्स असुरिंदस्स असुरकु-181 // 904 // माररन्नो तायत्तीसदेवताए उवचन्ना तप्पभिई च णं भंते! एवं वुच्चइ चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो नाय त्तीसगा देवा ?, तए ण भगवं गोयमे सामहधिणा अणगारेण एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए 1 उहाए उद्वेइ उट्ठाए उद्देत्ता सामहस्थिणा अणगारेणं सद्धिं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद तेणेव उवागछित्ता समणं भगवं 'महावीरं वंदइ नमसा वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयामी [म.] हे भगवन ! ज्यारथी मांडीने काकंदीना रहेनास अने परस्पर सहाय करनारा, तेत्रीश श्रमणोपासको असुरेंद्र, असुरकु. मारराजा चमरना त्रायविंशकदेवपणे उत्पन्न थया त्यारथी एम कहेवाय छे के असुरेंद्र, असुरकुमारराजा चमरने त्रायविंशक देवो छ ? (अर्थात् ते पूर्व त्रायखिंशक देवो न होता). ज्यारे ते श्यामहस्ती अनगारे भगवंत गौतमने ए प्रमाणे कात्यारे भगवान् गौतम शंकित, कांक्षित अने अत्यन्त संदिग्ध थया, अने तेओ उभा थईने ते श्यामहस्ती अनगारनी साथे ज्यां श्रमण भगवान् महा181 वीर हता त्यां आवे छे त्यां आवीने श्रमण भगवान् महावीरने वांदी अने नमीने आ प्रमाणे बोल्या For Private and Personal Use Only