________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyarmandir १०तके उद्देश | // 905 // अस्थि ण भंते! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररणो तायत्तीसगा देवा ता० 21, हंता अस्थि, व्याख्या-1 *से केपट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ 1, एवं तं चेव सब्वं भाणियब्वं जाव तप्पभियं च णं एवं वुचइ चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो तायत्तीसगा देवा 21, णो इणढे समवे, गोयमा! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररनो तायत्तीसगाणं देवाणं सासए नामधेजे पण्णत्ते, जं न कयाइ नासीन कदावि न भवति ण कयाई ण भविस्सई जाव निचे अब्बोच्छित्तिनयट्टयाए अन्ने चयंति अन्ने उपबज्जति / अस्थि णं भंते ! बलिस्स वइरोणिदस्स वइरोयणरन्नो तायत्तीसगा देवा ? ता० 21, हंता अस्थि, से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ बलिस्स बहरोयणिदस्स जाव तायत्तीसगा देवा ता० 21, एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेब जंबुडीवे 2 भारहे वासे बिभेले णाम संनिवेसे होत्था वन्नओ, तत्थ णं विभेले संनिवेसे जहा चमरस्म जाव उवचना, जप्पभिई च ण भते! ते विमेलगा तायत्तीस सहाया गाहावइसमणोवासगा बलिस्स वइ० सेसं तं चेव जाव निच्चे अव्वोच्छिद्र त्तिणयट्टयाए अन्ने चयंति अन्ने उबवजति।। है [प्र०] हे भगवन् ! असुरेंद्र, असुरकुमारना राजा चमरने त्रायविंशक देवो छे? [उ०] हा, गौतम! छे. [प्र०] हे भगवन् ! भए प्रमाणे आप शा हेतुथी कहो छो के ते चमरने प्रायविंशक देवो छ ?-इत्यादि पूर्वे कहेलो त्रायविंशक देवोनो सर्व संबन्ध कहेवो; 4 यावत् काकंदीना रहेनारा श्रमणोपासको त्रायविंशकदेवपणे उत्पन्न थया छे त्यारथी शृं एम कहेबाय छे के चमरने वायविंशक देवो It (ते पूर्वे शुं नहोता!) [उ०] हे गौतम! ते अर्थ योग्य नथी, पण असुरेंद्र असुरकुमारना राजा चमरना त्रायविंशक देवोना नामो For Private and Personal Use Only