________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyarmandir व्याख्याप्राप्ति 895 // १.शतके उरेवार // 895 // वेदना वेदे छे अने सुखदुःख सिवाय पण वेदना वेदे छे. // 398 // मासियण्णं भंते ! भिक्खुपडिमं पडिबन्नस्स अणगारस्स निचं वोसट्टे काये चियत्ते देहे, एवं मासिया भिक्खुपडिमा निरवसेसा भाणियबा [ जाव दसाहिं ] जाव आराहिया भवइ / (सूत्रं 399) [प्र.] हे भगवन् ! जे अनगारे मासिक भिक्षु प्रतिमाने स्वीकारेली छे, अने हमेशां शरीरना ममत्वनो त्याग कर्यो छे-देहनो त्याग कयों छे-इत्यादि मासिक भिक्षु प्रतिमानो संपूर्ण विचार अहिं दशाश्रुत रकंधयां बताव्या प्रमाणे यावत् ( बारमी प्रतिमा) 'आराधी होय छेत्यांमुधी जाणवो. // 399 // भिक्खू य अन्नयर अकिञ्चट्ठाणं पडिसेबित्ता से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकते कालं करेइ नत्थि तस्स | आराहणा, सेणं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिकते कालं करेइ अस्थि तस्स आराहणा, भिक्खू य अन्नयरं अकिचट्ठाणं पडिसेवित्ता तस्स णं एवं भवइ पच्छावि णं अहं चरमकालममयंसि एयरस ठाणस्म आलोएस्मामि जाव पडिवजिस्मा सेमिण, तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकते जाव नधि तस्स आराहणा, से णं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिकते कालं करेइ अस्थि तस्स आराहणा, भिक्खू य अन्नयर अकिञ्चट्ठाण पडिसेवित्ता तस्स णं एवं भवह-जइ ताव समणोवास गावि कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएमु देवत्ताए उववत्तारोभवति किमंगपुण अहं अन्नपन्नियदेवत्तणपि नो लभिस्सामित्तिक से णं तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकते कालं करेइ नस्थि तस्स आराहणा, से गं तस्स ठाणस्स आलोइयपडिक्कते कालं करेह अस्थि तस्स आराहणा / सेवं सेवं भंते! For Private and Personal Use Only